भारतीय कंपनियां अब विदेशी शेयर बाजारों में सीधे सूचीबद्ध हो सकेंगी. इसके साथ ही अहमदाबाद स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) पर भी कंपनियों को सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति होगी. सरकार ने इस संबंध में कोविड राहत पैकेज के तहत घोषणा की थी. इसे अब तीन साल बाद मंजूरी मिल गई है. इसके जरिए घरेलू कंपनियों को विदेश में विभिन्न शेयर बाजारों पर अपने शेयरों को सूचीबद्ध करके धन जुटाने में मदद मिलेगी. इस संबंध में एक प्रस्ताव पहली बार मई 2020 में महामारी के दौरान घोषित नकदी पैकेज के तहत पेश किया गया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू कंपनियां अब विदेश में प्रतिभूतियों को प्रत्यक्ष रूप से सूचीबद्ध कर सकती हैं. सरकार ने आईएफएससी एक्सचेंज पर सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों की प्रत्यक्ष सूचीबद्धता को मंजूरी देने का भी फैसला किया है.
सीतारमण ने कहा कि यह एक बड़ा कदम है. इससे भारतीय कंपनियों को बेहतर मूल्यांकन की सुविधा और वैश्विक पूंजी तक पहुंच मिलेगी. वित्त मंत्री ने यह घोषणा कॉरपोरेट बांड बाजार को मजबूत करने में मदद के लिए एएमसी रेपो निपटान और कॉरपोरेट ऋण बाजार विकास कोष की शुरुआत के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में की.
उन्होंने एक नियामक प्रभाव मूल्यांकन की अपील भी की, ताकि विनियमित संस्थाएं और बाजार अपने फैसलों के नतीजों को बेहतर ढंग से समझ सकें. सीतारमण ने कहा कि सरकार शहरों को अपनी साख रेटिंग सुधारने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि उन्हें अपने बांड के लिए बेहतर मूल्य मिल सके.
एनएसई का शुद्ध मुनाफा पहली तिमाही में नौ फीसद बढ़ा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को जून तिमाही में एकीकृत शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर नौ फीसद बढ़कर 1,844 करोड़ रुपए रहा. एनएसई ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में परिचालन से होने वाली एकीकृत आय 2,987 करोड़ रुपए रही, जो एक साल पहले इसी तिमाही के मुकाबले 13 फीसद अधिक है.
कई कानूनों को अपराध-मुक्त श्रेणी में डालने पर विचार देश में कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई कानूनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए सरकार ने एक कार्य समूह गठित किया है. समिति उन क्षेत्रों को तलाशेगी जहां कानूनी प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की ज्यादा जरूरत है. इस कार्य समूह में उद्योग संगठनों, उद्योग मंडलों, विधि पेशेवरों, कानून के विशेषज्ञों और सात मंत्रालयों के अधिकारी शामिल हैं. इस समूह में राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
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