क्रूड ऑयल और फर्टिलाइजर के बाद भारत ने अब रूस से मसूर दाल का आयात भी शुरू कर दिया है. घरेलू बाजार में दालों की आपूर्ति में सुधार करने और दाल आयात के लिए नए बाजारों की तलाश में भारत सरकार ने पहली बार रूस से दाल का आयात शुरू किया है. रूस की मसूर दाल अन्य देशों की तुलना में सस्ती है. यही वजह है कि भारत ने पहली बार रूस से दाल आयात की है. अभी तक मसूर दाल का आयात कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से हो रहा था.
सितंबर 2021 में सरकार ने पहली बार रूस से दालों के आयात को मंजूरी दी थी. क्योंकि सरकार कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पर निर्भरता कम करना चाहती है. रूस से आने वाली दाल सस्ती पड़ रही है, जबकि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की दाल महंगी है.
कीमतों में है अंतर
रूस से भारत आने वाली मसूर दाल की कीमत 640 डॉलर प्रति टन पड़ी रही है. जबकि कनाडा की दाल की कीमत 710 डॉलर प्रति टन, जबकि ऑस्ट्रेलिया की दाल की कीमत 676 डॉलर प्रति टन है. कीमतों में अंतर होने के कारण ही सरकार अब नए देशों की तलाश में है, जहां से सस्ती दाल का आयात बढ़ाया जा सके.
खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने की तैयारी
भारत सरकार घरेलू बाजार में दालों की कीमतों को बढ़ने नहीं देना चाहती है. दालों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार रूस और कजाकस्तान सहित कई पड़ोसी देशों के साथ दाल खरीद के लिए लंबी अवधि के सौदे करना चाहती है.
अरहर और उड़द का भी होगा आयात
मसूर दाल के अलावा सरकार अरहर और उड़द दाल की उपलब्धता भी बढ़ाकर इनकी कीमतों को नियंत्रित करना चाहती है. अरहर और उड़द दाल की पर्याप्त और निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार मोजांबिक, म्यांमार और मालावी जैसे देशों से लंबी अवधि के आयात सौदे करने के लिए बातचीत कर रही है.
दालों के लिए आयात पर निर्भरता
मसूर, अरहर और उड़द दाल के लिए भारत बहुत हद तक आयात पर निर्भर है. 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई से जून) के दौरान भारत में कुल 2.75 करोड़ टन दालों का उत्पादन हुआ. इसमें चना की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है. चना और मूंग दाल में भारत आत्मनिर्भर है, लेकिन अन्य दालों के मामले में अभी भी देश आयात पर भी बहुत हद तक निर्भर है.