जुलाई के दौरान देशभर में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, जबकि अगस्त का महीना सूखे की तरफ बढ़ रहा है. आशंका जताई जा रही है कि इस बार अगस्त के दौरान देशभर में बरसात की कमी 122 वर्षों में सबसे अधिक रह सकती है. मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस साल पहली अगस्त से 17 अगस्त के दौरान देशभर में औसतन सिर्फ 90.7 मिलीमीटर बरसात हुई है , जो सामान्य के मुकाबले करीब 40 फीसद कम है. अगस्त के दौरान बरसात की रफ्तार को देखकर लग रहा है कि पूरे महीने के दौरान देश की औसत बरसात का आंकड़ा 180 मिलीमीटर के पार जाने की उम्मीद नहीं है, ऐसा हुआ तो 1901 के बाद अगस्त में सबसे कम बरसात होगी. 1901 से ही मौसम के आंकड़ों की गणना शुरू हुई है. सामान्य तौर पर पूरे अगस्त के दौरान देश में औसतन 254.9 मिलीमीटर बरसात होती है.
इस साल अगस्त के दौरान हुई कम बरसात की वजह से पूरे मानसून सीजन की बारिश का आंकड़ा डेफिसेट में पहुंच गया है. मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अबतक बीते मानसून सीजन, यानी 1 जून से 18 अगस्त के दौरान देशभर में औसतन 565 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है जो सामान्य के मुकाबले 6 फीसद कम बारिश है, सामान्य तौर पर इस दौरान देशभर में 603.9 मिलीमीटर बरसात हो जाती है. इससे पहले जून और जुलाई के दौरान देश में औसत बरसात का आंकड़ा 5 फीसद सरप्लस दर्ज किया गया था. जुलाई के दौरान तो देशभर में सामान्य से 13 फीसद अधिक बरसात हुई थी. लेकिन अगस्त के दौरान इतनी कम बरसात हुई है कि सरप्लस बरसात डेफिसेट में पहुंच गई है.
बरसात की कमी की वजह से खरीफ की खेती पर खराब असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. समय रहते बरसात की कमी दूर नहीं हुई तो खरीफ का उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इस साल वैसे भी धान और मोटे अनाज को छोड़ अधिकतर खरीफ फसलों की खेती पिछले साल के मुकाबले पिछड़ी हुई है. 18 अगस्त तक दालों का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 12 लाख हेक्टेयर पीछे दर्ज किया गया है. सभी प्रमुख खरीफ दलहन यानी तुअर, उड़द और मूंग की खेती पिछले साल के मुकाबले घटी है. खरीफ तिलहन का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले करीब 3 लाख हेक्टेयर पीछे है और कपास की खेती भी पिछले साल के मुकाबले 2 लाख हेक्टेयर कम है. इन फसलों की खेती पहले ही कम है, ऐसे में मौसम फसल के अनुकूल नहीं रहा तो इन सभी के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है. जिस वजह सप्लाई प्रभावित होगी और महंगाई बढ़ेगी.
इस साल हालांकि धान की खेती पिछले साल के मुकाबले आगे चल रही है, 18 अगस्त तक देशभर में धान का रकबा करीब 15 लाख हेक्टेयर आगे दर्ज किया गया है और कुल 360.79 लाख हेक्टेयर में फसल लगी है. लेकिन धान की खेती बढ़ने के बाद फसल उत्पादन में तभी बढ़ोतरी होगी जब मौसम अनुकूल रहेगा. मौसम ने साथ नहीं दिया तो बढ़ी हुई खेती का फायदा नहीं मिल पाएगा. हालांकि मौसम विभाग ने यह अनुमान भी लगाया है कि अगस्त के बाकी बचे दिनों के दौरान देशभर में बरसात की स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है.