भारतीय रुपए का रुतबा अब बढ़ने वाला है. भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने कारोबारी लेनदेन अपनी स्थानीय मुद्राओं में शुरू करने का फैसला लिया है. साथ ही भारत की एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI) को यूएई के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (IPP) से जोड़ने पर समझौता हुआ है. भारत ने हाल ही में फ्रांस के साथ भी यूपीआई के इस्तेमाल को लेकर समझौता किया है. श्रीलंका ने भारत के साथ व्यापार के लिए स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन की इच्छा जताई है.
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत भारत और यूएई के बीच स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्रा सेटलमेंट सिस्टम बनाने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाया जाएगा ताकि द्विपक्षीय लेनदेन में भारतीय रुपया और दिरहम को बढ़ावा दिया जा सके. स्थानीय मुद्रा सेटलमेंट सिस्टम बनाए जाने से निर्यातक और आयातक अपनी अपनी मुद्राओं में बिल बना सकेंगे और भुगतान कर सकेंगे. इससे दोनों देशों के बीच निवेश और रेमिटेंस यानी प्रवासियों के जरिए स्वदेश पैसे भेजने को भी बढ़ावा मिलेगा.
इस दौरान भुगतान और मैसेजिंग सिस्टम के लिए भी करार किया गया है. इस करार के तहत दोनों देशों के केंद्रीय बैंक अपने-अपने फास्ट पेमेंट सिस्टम यूपीआई और यूएई के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (आईपीपी) को जोड़ने में सहयोग करने पर सहमत हुए हैं. इसके साथ ही रुपे स्विच और यूएईस्विच को भी जोड़ा जाएगा. बता दें कि यूएई में 30 फीसद आबादी भारतीय है.
क्या होगा फायदा?
दोनों देशों के बीच ताजा फैसले से यूएई में रहने वाले बड़ी संख्या में भारतीयों को इस समझौते का लाभ मिलेगा. लोग आसानी से रुपे कार्ड का इस्तेमाल कर सकेंगे और आरटीजीएस व आईएमपीएस के माध्यम से रुपए ट्रांसफर कर सकेंगे. रुपए और दिरहम को बढ़ावा देने के लिए इन्हें लोकल करेंसी सेटलमेंट सिस्टम में रखा जा रहा है. आरबीआई का कहना है कि इससे दोनों ही तरफ से निवेश में आसानी होगी. इस समझौते के बाद दोनों देशें के सेंट्रल बैंक भारत के यूपीआई और यूएई के इंस्टैंट पेमेंट प्लेटफॉर्म को इंटरलिंक कर देंगे. इसके अलावा रुपे और यूएईस्विच को भी इंटरलिंक कर दिया जाएगा. ये कार्ड दोनों ही देशों में स्वीकृत किए जाएंगे.