अलग-अलग बैंकों में एंट्री लेवल के 40 से 52 परसेंट कर्मचारियों ने नौकरियां छोड़ी हैं. एट्रिशन से बैंकों की सेवाएं बाधित होती हैं और भर्ती के बढ़ते खर्च का असर उनके कारोबार पर पड़ सकता है.
निजी बैंकों के कर्मचारी जमकर नौकरियां छोड़ रहे हैं. वित्त वर्ष 2022-23 में निजी बैंको में नौकरी छोड़ने की दर यानी एट्रिशन रेट 30% से ज्यादा रहा. बाजार में बढ़ता कॉम्पिटिशन और टेक्नोलॉजी, सेल्स से जुड़े कर्मचारियों के ज्यादा संख्या में नौकरियों बदलने जैसी तमाम वजहों से एट्रिशन रेट इतना हाई रहा है. एक्सिस बैंक (Axis Bank), कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank), और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) जैसे बड़े निजी बैंकों में खासकर युवा कर्मचारियों ने ज्यादा तादाद में नौकरियां छोड़ीं. बैंकों का ये भी मानना है कि कोविड के बाद से युवाओं के लाइफ के गोल्स बदलने की वजह से भी नौकरियां छोड़ने की दर इतनी बढ़ी है. इसे आप इस आंकड़े से समझ सकते हैं कि अलग-अलग बैंकों में एंट्री लेवल के 40 से 52 परसेंट कर्मचारियों ने नौकरियां छोड़ी हैं. इसके अलावा डिसिप्लीनरी एक्शन और खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को कंपनियों से निकालना भी हाई एट्रिशन रेट को बढ़ाने की अहम वजहें रहीं.
बढ़ता कॉम्पिटिशन बड़ी वजह
बैंकों में पिछले दो साल में अच्छी वृद्धि दर्ज की है और बढ़ती आर्थिक वृद्धि के साथ उनकी वृद्धि की संभावनाएं भी अच्छी हैं. इसके साथ बैंकों ने अपने कारोबार को बढ़ने की लिए भर्ती भी तेज कर दी है. बढ़ते कॉम्पिटिशन के साथ कर्मचारी एक बैंक छोड़कर दूसरे बैंक की नौकरी ले रहे हैं. साथ ही देश में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) और नई पीढ़ी की फिनटेक कंपनियों की वजह से भी कॉम्पिटिशन बढ़ रहा है. इस वजह से नौकरियों के विकल्प बढ़ गए हैं.
रिजर्व बैंक का रुख
इससे पहले रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने मई में बैंकों को चेताया था कि हाई एट्रिशन और अन्य वजहों से उनके कारोबार पर असर पड़ सकता है. उन्होंने ये भी कहा था कि बैंकों को नए कर्मचारियों की भर्ती करने और पुराने कर्मचारियों को बनाए रखने की जरूरत है.जैन ने कहा था कि एट्रिशन से बैंकों की सेवाएं बाधित होती हैं और भर्ती के बढ़ते खर्च का असर उनके कारोबार पर पड़ सकता है.