सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए सब्सिडी वाले चावल को जारी करने से रोक दिया है. सरकार ने यह कदम गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर रोक के बाद उठाया है. बता दें कि डिस्टलरीज के ऊपर आरोप था कि वे अनाज को खुले बाजार में बेच कर मुनाफाखोरी कर रही हैं. फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी एफसीआई की ओर से चावल नहीं मिलने की वजह से उत्तर प्रदेश में 10 से 12 और महाराष्ट्र में 15 से 16 डिस्टलरीज ने अपना कामकाज बंद कर दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने एफसीआई के चावल के कथित डायवर्जन की जांच को शुरू कर दिया है. हालांकि सरकार को यह भरोसा है कि इस कदम के बाद एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल यानी EBP कार्यक्रम पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा. वहीं एफसीआई की ओर से सब्सिडी वाले चावल की सप्लाई बंद होने की वजह से एथेनॉल का उत्पादन करने वाली करीब 100 डिस्टलरी संकट में आ गई हैं. सरकार एफसीआई के पास मौजूद सरप्लस चावल की सप्लाई की पॉलिसी की समीक्षा कर रहा है. सरकार की ओर से सप्लाई को लेकर कुछ अंकुश भी लगाया जा सकता है.
गौरतलब है कि सरकार एथेनॉल उत्पादन के लिए एफसीआई के पास मौजूद सेंट्रल पूल स्टॉक के जरिए 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर गैर-फोर्टिफाइड चावल ऑफर कर रही थी. चालू एथेनॉल वर्ष (2022-23) में अभी तक एफसीआई ने डिस्टलरीज को करीब 14 लाख टन चावल की सप्लाई की है, जबकि इस अवधि में 34 लाख टन चावल की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑल इंडिया डिस्टलर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनलर वी एन रैना का कहना है कि एफसीआई की ओर से हमें एक हफ्ते से ज्यादा समय से चावल उपलब्ध नहीं कराया गया है और उसकी वजह से डिस्टलर्स को संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा कई डिस्टलर्स एथेनॉल उत्पादन बंद करने स्थिति में पहुंच गए हैं. हमने इस मुद्दे को एफसीआई के सामने उठाया है. साथ ही हम खाद्य मंत्रालय के सामने भी अपनी बात रखेंगे. वी एन रैना कहते हैं कि डिस्टलरीज को चावल की सप्लाई अचानक बंद होने की वजह से इस साल नवंबर तक सरकार के द्वारा तय किए गए पेट्रोल में 14 फीसद एथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य में देरी हो सकती है.