सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के मामले में देश के छोटे से राज्य केरल ने पहले स्थान पर जगह बनाई है. केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को जारी किए गए 5वें खाद्य सुरक्षा सूचकांक (Food Safety Index) में इस बात की जानकारी मिली है. इस इंडेक्स में दूसरे नंबर पर पंजाब है. वहीं तीसरे नंबर पर दक्षिण भारत का ही दूसरा राज्य तमिलनाडु है.
केरल और पंजाब दोनों ही राज्यों ने इस बार के फूड सेफ्टी इंडेक्स में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है. बीते साल में फूड सेफ्टी इंडेक्स में केरल छठे और पंजाब 11वें स्थान पर रहा था. वहीं इस बार राजस्थान फूड सेफ्टी के मामले में दो पायदान ऊपर चढ़कर 10वें से 8वें नंबर पर आ गया है और मध्य प्रदेश ने अपने स्थान में एक अंक का सुधार करके चौथे नंबर पर अपनी जगह बनाई है.
फूड सेफ्टी इंडेक्स में 8 छोटे राज्यों की बात करें तो गोवा ने लगातार चौथी बार अपने पहले स्थान को बरकरार रखा. दूसरे व तीसरे पर क्रमश: मणिपुर और सिक्किम रहे. केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर तीसरे साल शीर्ष पर रहा. इसके बाद दिल्ली और चंडीगढ़ का नंबर आता है. इसके अलावा फूड सेफ्टी इंडेक्स में देश के 260 जिलों को शामिल किया गया था. इनमें टॉप 6 जिलों में कोयम्बटूर, भोपाल, वाराणसी, मालदा, ग्वालियर और लखनऊ ने जगह बनाई है. वहीं खाने की सुरक्षा के मामले में बेहद खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार व झारखंड शामिल हैं.
कैसे तैयार होता है फूड सेफ्टी इंडेक्स? साल 2018-19 में फूड सेफ्टी इंडेक्स जारी करना शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य लोगों को स्वस्थ और पौष्टिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना है. विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर हर साल इसकी रिपोर्ट जारी की जाती है. खाद्य सुरक्षा के अलग-अलग मानकों के आधार पर रेटिंग देकर यह लिस्ट जारी होती है. इसमें मानव संसाधन प्रबंधन, अनुपालन, प्रशिक्षण और क्षमता विकास, उपभोक्ता सशक्तिकरण, खाद्य परीक्षण अवसंरचना, राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में सुधार, ये छह बिंदू शामिल होते हैं.
आगे क्या है योजना? खाद्य गुणवत्ता को सुधारने के लिए एफएसएसएआई अगले 3 सालों में 25 लाख फूड बिजनेस ऑपरेटर को प्रशिक्षित करेगा. इससे देश में खाद्य गुणवत्ता के मानकों को पूरा किया जा सकेगा. साथ ही, देश भर में 100 फूड स्ट्रीट स्थापित करने का भी लक्ष्य बनाया गया है.
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