घर पर मिनटों में दूध, दही, ब्रेड, अंडा, सब्जी पहुंचाने वाली क्विक कॉमर्स कंपनी डन्जो की जेब भी तेजी से खाली हो रही है. 19 मिनट में घर पर ग्रॉसरी, सब्जी और फल पहुंचाने वाला क्विक-कॉमर्स स्टार्टअप डन्जो नकदी संकट में है. रिलायंस रिटेल और गूगल के निवेश वाली डन्जो के पास अब अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं. डन्जो ने अपने कर्मचारियों का वेतन भुगतान एक बार फिर रोक दिया है. डन्जो ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि जून और जुलाई के शेष वेतन का भुगतान अगस्त के वेतन के साथ किया जाएगा. यानी अब सितंबर के पहले सप्ताह में कर्मचारियों को पूरी सैलरी मिलेगी.
कितने लोगों को मिलेगी सैलरी इस पर भी बड़ा सवाल है. क्योंकि डन्जो ने अपने खर्च में 30 से 40 फीसदी कटौती करने के लिए और कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की योजना तैयार की है. लागत में कटौती के उपायों के तहत डन्जो इस साल अबतक करीब 400 कर्मचारियों को निकाल चुकी है.
डन्जो ने जून में सैलरी की सीमा 75,000 रुपए तय की थी और कर्मचारियों से वादा किया था कि उनकी सैलरी का बकाया हिस्सा 20 जुलाई को दे दिया जाएगा. निवेशकों से पैसा न मिल पाने की वजह से कंपनी ने अब बकाया सैलरी भुगतान को सितंबर तक के लिए टाल दिया है.
डन्जो में रिलायंस रिटेल सबसे बड़ा निवेशक है. डन्जो में रिलायंस रिटेल की हिस्सेदारी करीब 26 फीसदी है. डन्जो करीब 2 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए अपने मौजूदा निवेशकों से बातचीत कर रहा है.
70 फीसदी डार्क स्टोर हुए बंद
डन्जो ने इंस्टैंट डिलीवरी करने के लिए हर शहर में एक वेयरहाउस खोला था. इन वेयरहाउस को क्विक कॉमर्स में डार्क स्टोर कहा जाता है. इन स्टोर से ही डिलीवरी की जाती है. शुरुआत में भारी निवेश के साथ खोले गए डार्क स्टोर कंपनी के लिए मुश्किल बन गए. ऑर्डर न मिलने के कारण जेप्टो अबतक अपने 70 फीसदी डार्क स्टोर बंन कर चुकी है. डन्जो कंज्यूमर बिजनेस से अलग अब मर्चेंट सर्विस पर अधिक ध्यान दे रही है. डन्जो ने सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ONDC पर भी ग्राहक हासिल करने के लिए खूब पैसा झोंका है.
क्विक-कॉमर्स मार्केट में कड़ी है प्रतिस्पर्धा
क्विक कॉमर्स मार्केट में ब्लिंकिट, जेप्टो, डन्जो जैसे कुछ बड़े नाम और स्थानीय छोटे ब्रांड्स के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है. नए ग्राहकों को जोड़ने के लिए कंपनियां भारी छूट और ऑफर्स का सहारा ले रही हैं. इस पर कंपनियों को पानी की तरह पैसा बहाना पड़ रहा है. फ्री डिलीवरी से भी कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है. हर ऑर्डर पर डिलीवरी चार्ज लेने से ग्राहक मुंह मोड़ रहे हैं, ये भी एक बड़ी चुनौती है.