राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 के संसद में पारित होने के बाद दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच तकरार बढ़ने लगी है. ताजा मामला वित्त मंत्री के आदेश की अवहेलना से जुड़ा है. दिल्ली के प्रधान सचिव (वित्त) ने वित्त मंत्री के आदेश को जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम 2023 की धारा 45(जे)5 का हवाला देते हुए मानने से इनकार कर दिया है.
दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि दिल्ली में लोकतंत्र, संविधान और संघीय ढांच की अवहेलना की जा रही है. आप सरकार ने आरोप लगाया है कि जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम दिल्ली की निर्वाचित सरकर के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही को खत्म कर रहा है. इस अधिनियम की धारा 45(जे) 5 नौकरशाहों को मंत्रियों के आदेशों को अस्वीकार करने का अधिकार देती है. 10 दिन पहले मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी (NCCSA) के संबंध में सरकार के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया था.
ताजा मामला वित्त विभाग के प्रमुख सचिव से जुड़ा है. वित्त विभाग के प्रमुख सचिव आशीष चंद्र वर्मा ने 40 पन्नों का पत्र लिखकर दिल्ली के पूर्व वित्त मंत्री कैलाश गहलोत के आदेशों को मानने से इनकार कर दिया है. आप सरकार ने आरोप लगाया है कि जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम की अवैध और असंवैधानिक प्रकृति के कारण, कई अधिकारियों ने अब चुनी हुई सरकार के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया है.
मौजूदा मुद्दा जीएसटी रिफंड से जुड़ा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार के खिलाफ आदेश सुनाया है. दिल्ली सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया. 5 जून को वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने रिफंड भुगतान सक सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान से बचने के लिए दिल्ली सरकार के वकील को नियुक्त करने और सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर करने का निर्देश प्रधान सचिव (वित्त) आशीष चंद्र को आदेश दिया था. इन आदेशों का पालन न करते हुए वित्त विभाग के अधिकारियों ने बिना किसी वकील की नियुक्ति या सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किए बिना ही फाइल को पास कर दिया. जब ये मामला दोबारा 12 जुलाई को सेवा मंत्री आतिशी के सामने लाया गया, तो उन्होंने भी पुराने आदेश का पालन करने का निर्देश दिया. लेकिन वित्त विभाग के प्रमुख सचिव ने आदेश को मानने से इनकार कर दिया.
प्रमुख सचिव (वित्त) के इस इनकार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है. ट्वीट में केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सेवा अधिनियम अधिकारियों को चुनी हुई सरकार के लिखित आदेशों का खुले तौर पर विद्रोह करने का लाइसेंस देता है. इससे अधिकारी मंत्रियों के आदेशों को मानने से इनकार करने लगे हैं. क्या कोई राज्य या देश या संस्था इस तरह चल सकती है? यह कानून दिल्ली को बर्बाद कर देगा और भाजपा यही चाहती है. इसलिए इस अधिनियम को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए.