नगरीय परिवहन सेवा में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने के मामले में अब दिल्ली पूरे देश में पहले स्थान पर है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आईपी स्टेट डिपो पर 400 नई इलेक्ट्रिक बसों को हरी झंडी दिखाकर उनका परिचालन शुरू किया. दिल्ली परिवहन निगम के कुल बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़कर 800 हो गई है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये नई बसें सब्सिडी योजना के तहत खरीदी जाने वाली 921 बसों का हिस्सा हैं. केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रि बसों के लिए 417 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है, वहीं दिल्ली सरकार इन बसों को खरीदने के लिए 3674 करोड़ रुपए खर्च करेगी.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनका लक्ष्य 2025 तक दिल्ली की सड़कों पर 8000 इलेक्ट्रिक बसें उतारने का है. उन्होंने कहा कि 2025 तक दिल्ली में 10,000 बसें होंगी और इसमें से 80 फीसदी बसें इलेक्ट्रिक होंगी. दिल्ली को इलेक्ट्रिक बसों के मामले में पूरी दुनिया में जानी जाएगी.
केजरीवाल ने कहा कि 2023 के अंत तक DTC के पास 1900 इलेक्ट्रिक बसें होंगी. इलेक्ट्रिक बसों के इतने बड़े बेड़े के साथ, दिल्ली की गिनती दुनिया के कुछ उन शहरों में होगी, जहां सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें हैं. बेड़े में 1900 बसें और शामिल होने के बाद, दिल्ली में कार्बन उत्सर्जन को सालाना 1.07 लाख टन तक कम करने में मदद मिलेगी.
नई इलेक्ट्रिक बसें आने से सड़कों से प्रदूषण कम होगा. सिंगल चार्ज में यह बस 225 किलोमीटर तक चलेगी. इन बसों में दिव्यांग जनों के उतरने-चढ़ने के लिए रैम्प भी दिया गया है. प्रत्येक बस में 3 सीसीटीवी कैमरा लगे हैं और महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसमें पैनिक बटन भी उपलब्ध कराया गया है. लाइव ट्रैकिंग के लिए बसों में जीपीएस ट्रेकिंग सिस्टम भी लगाया गया है.
इलेक्ट्रिक बसों के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए अलग तरह के डिपो की जरूरत होगी, जहां उनको चार्ज किया जा सके. इसलिए दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1500 चार्जिंग प्वॉइंट लगाने के लिए अबतक 182 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इन सभी नई 400 ई-बसों की आपूर्ति टाटा मोटर्स ने की है. ये बसें मायापुरी, नेहरू प्लेस, रोहिणी-1, रोहिणी-2 और बंदा बहादुर मार्ग डिपो से चलेंगी. दिल्ली सरकार सीएनजी बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने के लिए काम कर रही है. अगले दो सालों में दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली कुल बसों में इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी 80 फीसदी होगी.