क्या आपको भी चॉकलेट पसंद है? हो सकता है कि बहुत जल्द आपको इसके लिए थोड़े और पैसे चुकाने पड़ें. जी हां, चॉकलेट महंगी हो सकती है. वजह ये है कि जिस चीज से चॉकलेट बनती है यानी कोकोआ बीन्स, उसके थोक रेट पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं. चॉकलेट बनाने वालों का ये मानना है कि साल 2024 तक इसकी कीमतें ऊंची ही रह सकती हैं क्योंकि वेस्ट अफ्रीका में कोकोआ बीन्स की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. इस इलाके में दुनिया की दो तिहाई कोकोआ बीन्स की पैदावार होती है.
भारी बारिश और कीड़े लगने के कारण फसल तबाह हो गई है. इस वजह से दुनियाभर में आपूर्ति को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं. घाना कोकोआ मार्केटिंग कंपनी यूके के प्रमुख फुआद मोहम्मद अबुबकर के अनुसार दुनियाभर में बीन्स की प्रोसेसिंग में भी गिरावट दर्ज की गई है. ये इसको चॉकलेट में बदलने के लिए जरूरी प्रोसेस है. ये दिखाता है कि पर्याप्त मात्रा तक पहुंचने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं.
हो सकता है कि बहुत जल्द कीमतों में बढ़ोतरी हो जाए, बावजूद इसके कि अभी भी उपभोक्ता इसके लिए काफी कीमतें चुका रहे हैं. लंदन के कोकोआ एनालिस्ट पॉल जुलैस के मुताबिक फिलहाल स्थिति को ठीक नहीं कहा जा सकता. हो सकता है कि चॉकलेट कंपनियां अब छोटे चॉकलेट बार मार्केट में उतारें और कीमतें भी पहले से अधिक होंगी.
पश्चिम अफ्रीका के आइवरी कोस्ट में दुनिया का सबसे अधिक कोकोआ उगाया जाता है. यहां पिछले साल की तुलना में फसल में काफी गिरावट आई है. दूसरे सबसे बड़े उत्पादक घाना में भी कोकोआ उत्पादन का गिरना तय माना जा रहा है. एनालिस्ट पॉल जुलैस के मुताबिक इस साल लगातार तीसरी बार आपूर्ति घाटे की राह पर है और अगले साल भी हालात ऐसे ही रह सकते हैं. साथ ही अलनीनो के कारण उत्पादन को और भी अधिक नुकसान हो सकता है.
महामारी के दौरान दुनियाभर में चॉकलेट की मांग में गिरावट आई थी. इस वजह से कोकोआ बीन्स के स्टॉक बढ़ गए थे. बाद में जब मांग बढ़ गई तब इन स्टॉक में गिरावट दर्ज की गई. कुछ कंपनियों ने हालातों को देखते हुए अपने पास बफर स्टॉक रखा हुआ है. हालांकि अब चॉकलेट की कीमतों के कारण बिक्री में कमी भी आ सकती है.