देश में कोरोना काल से कार्ड और इंटरनेट से होने वाले फ्रॉड महामारी की तरह बढ़ने लगे हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि कार्ड और इंटरनेट से होने वाले धोखाधड़ी के मामलों में 257 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में ऐसे 6,659 मामले दर्ज किए गए हैं. ये बीते एक दशक में साल दर साल आधार पर हुए फ्रॉड के मामलों का उच्चतम स्तर है. देश में जैसे जैसे डिजिटल लेनदेन का ट्रेंड बढ़ा है. वैसे-वैसे ऑनलाइन फ्रॉड भी बढ़े हैं.
रिपोर्ट के अनुसार साल 2011-12 में ऐसे मामलों की संख्या 629 थी और कुल मूल्य 23 करोड़ रुपए था. जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 71 करोड़ रुपए और 2022-23 में बढ़कर 276 करोड़ रुपए पर पहुंच गया. वित्त वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक इस तरह धोखाधड़ी से ठगी गई राशि में 289 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसी दौरान में नकद धोखाधड़ी में शामिल राशि 182 फ़ीसदी बढ़कर 158 करोड़ रुपये हो गई. यानी आंकड़ों से साफ़ है जैसे-जैसे डिजिटल और वित्तीय लेन-देन से जुड़ी नई-नई टेक्नोलॉजी आ रही हैं वैसे वैसे इन आंकड़ों में इज़ाफ़ा हो रहा है. इसमें भी कार्ड और इंटरनेट के जरिए लोगों से ठगी गई राशि का मूल्य सबसे अधिक तेजी से बढ़ा है.
कैसे फंसा रहे ठग?
रिपोर्ट में सामने आया है कि एडवांस लोन देन के झांसे में फंसाकर सबसे ज्यादा धोखाधड़ी की गई. लोगों को लोन का लालच देकर उनके बैंक खातों से जुड़ी जानकारी लेकर ठग बैंक अकाउंट में जमा रकम उड़ा देते हैं. इस श्रेणी में वर्ष 2022-23 के दौरान 28,792 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा 64,539 करोड़ रुपए था. वर्ष 2022-23 में हुए कुल फ्रॉड में इस तरह की धोखाधड़ी की हिस्सेदारी 95 फीसद से अधिक थी.