काली मिर्च के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों, कर्नाटक और केरल में अनियमित बारिश के चलते फसल के देरी से तैयार होने की आशंका है. जिसके चलते हाल के सप्ताहों में काली मिर्च की खरीद तेज हो गई है. कोच्चि के बाजार में काली मिर्च की दोनों वैरायटियों (Garbled and Ungarbled) की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. बिना गार्बल वाले काली मिर्च की कीमत 603 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है, वहीं अनगारबल्ड किस्म वाली काली मिर्च 623 रुपए प्रतिकिलो हो गई है. अभी तक ये लंबे समय से लगभग 480-500 रुपए प्रति किलोग्राम थीं. हालांकि इनकी कीमतें अभी भी साल 2016 में हुई बढ़ोतरी से कम हैं. उस दौरान काली मिर्च की कीमत 700 रुपए प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी.
काली मिर्च की कीमतों में इजाफा होने से लोग परेशान हैं, हालांकि बढ़ी हुई कीमतों से उत्पादकों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. दरअसल उनके पास काली मिर्च का लिमिटेड स्टॉक है. ज्यादातर उत्पादकों ने अपनी उपज बेच दी है, जबकि अन्य इसकी कीमतों में हो रहे इजाफे के चलते अपने उत्पाद रोके हुए हैं. इंडियन पेपर एंड स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन (IPSTA) के अध्यक्ष किशोर शामजी का कहना है कि वैश्विक बाजार में भारतीय काली मिर्च 7,700 डॉलर प्रति टन की ऊंची कीमत के कारण महंगी हो गई है. जबकि श्रीलंका की फसल की कीमत 6,700 डॉलर और वियतनाम की 3,700 डॉलर है.
काली मिर्च का बढ़ सकता है आयात
किसान संघ को डर है कि घरेलू बाजार में काली मिर्च की ऊंची कीमतों के चलते श्रीलंका से आयात बढ़ सकता है. उपलब्धता की कमी के कारण वियतनाम जैसे देशों से बहुत सारी काली मिर्च भारत में आएगी, लेकिन उत्पादकों को फायदा नहीं होगा. ऐसी भी चिंताएं हैं कि 85,000 टन की अनुमानित घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए ब्राजील और वियतनाम 8 प्रतिशत आयात शुल्क का भुगतान करके श्रीलंका के रास्ते भारतीय बाजार में प्रवेश कर सकता है. बता दें काली मिर्च की घरेलू कीमतें वर्तमान में न्यूनतम आयात मूल्य 500 रुपए प्रति किलोग्राम से ऊपर हैं.