सरकार संसद के मानसून सत्र में दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य उत्पादों के निर्माण, आयात, बिक्री आदि को रेगुलेट करने के लिए बिल पेश करेगी.
न्यू ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेज एंड कॉस्मेटिक्स बिल, 2023 का उद्देश्य इन चीजों के रेगुलेशन के अलावा उनकी क्वालिटी, सेफ्टी, परफॉर्मेंस आदि सुनिश्चित करना है. साथ ही इसमें नई दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल और हेल्थ टेस्ट में इस्तेमाल किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस का क्लीनिकल इन्वेस्टीगेशन (जांच) सुनिश्चित करना भी शामिल है.
नया बिल 80 साल पुराने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 की जगह लेगा. बिल से दवा क्षेत्र के लिए नए कानून और कड़े रेगुलेटरी नियम बनेंगे.
क्यों लाया जा रहा है ये बिल?
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 मौजूदा समय की जरूरतों को पूरा नहीं करता. इसलिए पुराने कानून में बदलाव की जरूरत पड़ी. नए कानून से देश में दवाओं और मेडिकल डिवाइस की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, मानक तय होंगे जिनसे भारतीय दवा उद्योग की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद मिलेगी. हाल के समय में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भारत में बने कफ सीरप से बच्चों की मौत की घटनाओं से भारतीय दवा उद्योग की साख पर बट्टा लगा है. इस बिल से घटिया दवाओं पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
ई–फॉर्मेसी ऐप भी आएंगे दायरे में
बिल में ऑनलाइन दवाएं बेचने वाली कंपनियों के कामकाज के रेगुलेशन, डॉक्टर द्वारा बताई गईं दवाओं के असीमित और गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने और मरीजों के डेटा की निजता को बनाए रखने पर भी ध्यान दिया गया है. साथ ही ई–फॉर्मेसी ऐप द्वारा दवाओं के स्टॉक, डिस्ट्रीब्यूशन वगैरह को लेकर भी नियम कड़े करने जैसी चीजें शामिल हैं.
बिल में शामिल दूसरी चीजें
सरकार ने एक अलग ड्रग्स टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) और मेडिकल डिवाइसेज एडवाइजरी बोर्ड (MDTAB) के गठन का भी प्रस्ताव दिया है.
बिल में आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी जैसे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के रेगुलेशन का भी प्रस्ताव दिया है.
नए बिल को लेकर विवाद
नए बिल को लेकर विवाद भी हो रहा है. उद्योग संगठनों का कहना है कि बिल हितधारकों के साथ विचार–विमर्श किए बिना पेश किया जा रहा है. साथ ही दवा और चिकित्सा उपकरणों के पूरी तरह अलग मेडिकल प्रोडक्ट होने की दलील देते हुए भी बिल का विरोध किया जा रहा है. संगठनों ने मांग कि है कि बिल स्वास्थ्य मंत्रालय के पास वापस भेजा जाए और उचित विचार विमर्श और तय प्रक्रिया के बाद दवा, चिकित्सा उपकरणों से जुड़े दो अलग–अलग कानून बनाए जाएं.