इस साल 19 मई से 2,000 रुपए के बैंक नोट को चलन से बाहर करने से बैंकों के पास अगस्त में जमा नकदी 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. बैंकों की तिजोरियां नकदी से भर गई थीं. 2000 रुपए के नोट वापस आने से बैंकों के पास जगह कम पड़ने लगी. आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में बैंकों ने आरबीआई में एक दिन में औसतन 2.48 लाख करोड़ रुपए जमा कराए हैं.
बाजार से 1 लाख करोड़ रुपए होंगे बाहर
बैंकों के पास नकदी के रिकॉर्ड स्तर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को सीमित अवधि के लिए कैश रिजर्व रेश्यो यानी CRR के तहत अतिरिक्त 10 फीसद रकम रखने के लिए कहा है. आरबीआई के इस कदम से अब बैंकों की तिजोरी से एक लाख करोड़ रुपए निकलकर आरबीआई के पास पहुंच जाएंगे. बाजार से एक लाख करोड़ रुपए की नकदी कम होने से महंगाई को रोकने में मदद मिलेगी. आरबीआई का कहना है कि 10 फीसद वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात से बैंकों से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की नकदी निकालने में मदद मिलेगी.
बेहतर है ये कदम
मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद दास ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में यह बेहतर कदम है. बैंकों के पास पर्याप्त नकदी है और वे कर्ज गतिविधियों को जारी रख सकते हैं. इस साल 19 मई से 2,000 रुपए के नोट बैंकों में वापस आने से नकदी बढ़ी है. इसको देखते हुए यह कदम उठाया गया है. यह कदम सभी अनुसूचित बैंकों पर लागू होगा.
और कठोर कदम उठा सकता है RBI
दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में हाल में हुई वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुओं की महंगाई है. उन्होंने कहा कि अगर हम पूर्व के अनुभव को देखें, तो सब्जियों के दाम में कुछ महीनों में सुधार का रुख देखने को मिल सकता है. इसके अलावा मानसून की अच्छी प्रगति से खरीफ फसलों की स्थिति बेहतर है. दास ने कहा कि हालांकि अगर ये चीजें लंबे समय तक बनी रहती हैं तो आरबीआई कदम उठाएगा. इसके लिए केवल दर में बढ़ोतरी की जरूरत नहीं है बल्कि वृद्धिशील सीआरआर की तरह के और कदम हो सकते हैं.