चीनी मोबाइल कंपनियां भारत में अपना दबदबा कायम रखना चाहती हैं. ये दूसरे ब्रांडों की तुलना में खुदरा विक्रेता और वितरकों को ज्यादा मार्जिन दे रही हैं
Open Market में कबतक गेहूं बेचती रहेगी सरकार? क्या सरकार पर बढ़ने वाला है फर्टिलाइजर सब्सिडी का बोझ? बड़े निवेशक PMS से क्यों निकाल रहे पैसा? किन भारतीय कंपनियों में पैसा लगा सकता है अमेरिका का Pension Fund? क्या महंगी होने वाली है CNG-PNG? चीन की कंपनियों नें क्या धोखा दिया? आज के Money Central में इन सभी सवालों का जवाब मिलेगा.
Xiaomi ने डिजिटल उपभोक्ता वित्तीय सेवा एक्सियो और डिजिटल सुरक्षा और सेवा कंपनी ट्रस्टोनिक के साथ साझेदारी की है
छंटनी को बताया जा रहा कंपनी के आंतरिक पुनर्गठन का हिस्सा
व्हाइट कॉलर जॉब्स में आई कितनी गिरावट, Xiaomi घटाकर कितना करना चाहती है अपना स्टाफ, सुनिए 'एक छोटी सी नौकरी का तलबगार हूं मैं' अमन गुप्ता के साथ.
किसने तय किया EV बैटरी में चीन का एकाधिकार तोड़ने का लक्ष्य? SC के अंतिम फैसले से पहले Vedanta ने क्या तैयारी की? 5 साल के लिए Patanjali Foods ने क्या आक्रामक योजना तैयार की? टेलीकॉम बाजार किन 2 कंपनियों के कब्जे में? Zee-Sony मर्जर के रास्ते में क्या नई अड़चन आई? JPMorgan ने Mankind Pharma के शेयर का क्या लक्ष्य तय किया? इन सब सवालों के जवाब के अलावा Corporate जगत और शेयरों पर असर डालने वाली बड़ी खबरों, उनके पीछे की वजह जानने के लिए देखिए Corporate Central.
आप फेस्टिव सीजन में अपने स्मार्टफोन खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो आपको अधिक कीमत चुकानी होगी, क्योंकि ड्यूटी बढ़ने से कंपनियों ने कीमतें बढ़ाई हैं.
टेक कंपनियां भारत में बढ़ते ऑनलाइन ट्रांजेक्शन (Online Transactions) को देखते डिजिटल पेमेंट मार्केट पर ध्यान दे रही हैं.
कंपनियां कुछ नया करने की और जरूरत महसूस कर रही है, हालांकि बहुत कम कंपनियां इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार दिखती हैं.
Xiaomi: रिसर्च फर्म के आंकड़ों के मुताबिक, दूसरी तिमाही में सैमसंग की 19 फीसद, Xiaomi की 17 फीसद और एप्पल की 14 फीसद हिस्सेदारी थी