जुलाई में लगातार तीसरे महीने खाद्य वस्तुओं के दाम कम हुए हैं. जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति ‘शून्य’ रही. यह जून में 3.09% थी.
मार्केट का रुख ग्लोबल स्टॉक मार्केट्स, जून तिमाही के नतीजों, मॉनसून, डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू और कच्चे तेल की कीमतों पर टिका होगा.
WPI Inflation: कच्चे तेल की कीमतों की वजह से पेट्रोल, डीजल के दाम भी बढ़े हैं जिसका असर WPI पर दिखा. आज शाम को रिटेल महंगाई के आंकड़े भी जारी होंगे
Inflation: पिछले साल के मुकाबले इस बार खाने के तेलों की कीमतों में बड़ा उछाल आया है. इनकी कीमतें 55 फीसदी तक बढ़ी हैं.
इतने खराब हालात के बीच महंगाई भी बढ़ने लगी है और आम आदमी की जेब में बची-खुची रकम इसके चलते खत्म हो रही है.
Wholesale Inflation: मार्च महीने में WPI 7.39 फीसदी पर थी जबकि अप्रैल 2020 के दौरान WPI माइनस 1.57 फीसदी पर रही थी
WPI: इससे पहले अक्टूबर 2012 में थोक महंगाई इस ऊंचाई पर थी. तब थोक महंगाई 7.4 फीसदी पर था. पिछले बार के कम बेस की वजह से भी ये बढ़त दिख रही है