विश्लेषकों का मानना है कि सार्थक निजीकरण अप्रैल/मई के आम चुनाव के बाद ही हो सकता है.
म्यूचुअल फंड सिर्फ शॉर्ट टर्म गेन नहीं देखते. IPO के जरिए वे ऐसी कंपनियों की तलाश करते हैं जो मल्टीबैगर साबित हो सकते हैं
इंवेस्टर एजुकेशन के लिए देश के पहले पर्सनल फाइनेंस सुपर ऐप मनी9 और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने मिलकर शुरू किया अभियान
भारत में प्रमोटर सबसे बड़े शेयरधारक बने हुए हैं. इसलिए वे ही डिफॉल्ट रूप से डिसीजन मेकर हैं. लेकिन ई-वोटिंग के आने के साथ बहुत कुछ बदल गया है, इसलिए माइनॉरिटी शेयरधारकों की कंपनी के फैसलों में दिलचस्पी बढ़ रही है. कैसे? जानिए इस वीडियो में-
थीमेटिक इक्विटी म्यूचुअल फंड अपने एसेट का कम से कम 80 फीसद हिस्सा थीम आधारित शेयरों में निवेश करते हैं.
कई बार जब हम अपने घर से ऑफिस या बाहर घूमने के लिए निकलते हैं तो हमारी नजर अलग-अलग कंपनियों के कारखानों पर पड़ती हैं. क्या रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स को बनाने वाली कंपनियों में निवेश करने के अलावा ऐसी कंपनियों में भी निवेश किया जा सकता है जो हमें रोज नजर आती हैं? जानने के लिए वीडियो देखें-
1,314 निवेश सलाहकार सेबी के साथ पंजीकृत हैं.
कहां से आसानी से निकाल सकते हैं पैसा, कहां मिलेगा ज्यादा फायदा? जानने के लिए देखिए Money9 का खास शो मुकाबला.
जीवन बीमा कंपनियां अपना कारोबार बढ़ाने के लिए NFO लेकर आ रही हैं जो किसी विशेष फंड या सेक्टर पर आधारित हैं. बीमा कंपनियां NFO क्यों लेकर आती हैं? इन NFO में निवेश करना चाहिए या नहीं? इस तरह के तमाम सवालों के बारे में जानने के लिए देखिए चैन की सांस का यह शो-
क्या आपको भी लगता है कि लार्जकैप यानी दिग्गज शेयर जिनको आप बार-बार सिफारिशों में सुनते होंगे. उन शेयरों में पैसा लगाना मतलब मुनाफे की गारंटी? क्या आपको भी लगता है कि इनमें पैसा लगाकर भूला जा सकता है? जी नहीं, आपको ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए. क्यों? जानिए-