यह आपके समय और ऊर्जा का एक अच्छा निवेश है, जो अंततः बड़ा लाभांश देगा और आपको भयंकर गलतियों से भी बचाएगा.
FPI: कुल नेट ऑउटफ़्लो 161 करोड़ रुपये रहा. जून में FPI भारतीय बाजारों (इक्विटी और डेट) में 13,269 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेशक बन गए.
3 साल में एक बार अपने पोर्टफोलियो (portfolio ) की समीक्षा जरुर करें और किसी फाइनेंशियल एडवाइजर (financial advisor) की मदद जरूर लें.
SIP: इंवेस्टमेंट के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े है जिसे कम करने के लिए आप यहां बताए गए तरीके अपना सकते है.
साल की पहली तिमाही में अच्छे परिणाम और लंबे समय में सकारात्मक आय वृद्धि के रुख से भारतीय शेयरों में FPI की दिलचस्पी के बढ़ने की वजह है.
आंकड़ों के मुताबिक, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) ने 1 जून से 4 जून के बीच भारतीय शेयर बाजार में 7,968 करोड़ रुपये लगाए हैं.
Retail Investors: भारतीयों को आमतौर पर रूढ़िवादी और जोखिम से बचने वाले निवेशक के तौर देखा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में धारणा टूटी है.
जानकारों के मुताबिक, FPI में कोविड संकट का भय और बढ़ता है तो विदेशी निवेशकों के अपनी हिस्सेदारी बेचने का चलन जोर पकड़ सकता है.
कोविड की दूसरी लहर के चलते कई राज्यों में पाबंदियां लगाई गई हैं. इससे FPI का सेंटीमेंट खराब हुआ है और उन्होंने मार्केट से पैसे निकाले हैं.
अगले हफ्ते मार्केट कोविड को लेकर सरकार के लिए जाने वाले फैसलों, FPI के निवेश और बॉन्ड यील्ड जैसे मसलों के हिसाब से रुख तय करेगा.