SIP: इंवेस्टमेंट के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े है जिसे कम करने के लिए आप यहां बताए गए तरीके अपना सकते है.
साल की पहली तिमाही में अच्छे परिणाम और लंबे समय में सकारात्मक आय वृद्धि के रुख से भारतीय शेयरों में FPI की दिलचस्पी के बढ़ने की वजह है.
आंकड़ों के मुताबिक, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) ने 1 जून से 4 जून के बीच भारतीय शेयर बाजार में 7,968 करोड़ रुपये लगाए हैं.
Retail Investors: भारतीयों को आमतौर पर रूढ़िवादी और जोखिम से बचने वाले निवेशक के तौर देखा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में धारणा टूटी है.
जानकारों के मुताबिक, FPI में कोविड संकट का भय और बढ़ता है तो विदेशी निवेशकों के अपनी हिस्सेदारी बेचने का चलन जोर पकड़ सकता है.
कोविड की दूसरी लहर के चलते कई राज्यों में पाबंदियां लगाई गई हैं. इससे FPI का सेंटीमेंट खराब हुआ है और उन्होंने मार्केट से पैसे निकाले हैं.
अगले हफ्ते मार्केट कोविड को लेकर सरकार के लिए जाने वाले फैसलों, FPI के निवेश और बॉन्ड यील्ड जैसे मसलों के हिसाब से रुख तय करेगा.
FPI: भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बरकरार रही है. फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) ने 17,304 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में निफ्टी ने निवेशकों को 71 फीसदी के करीब रिटर्न दिया है. यह निफ्टी का एक दशक में सबसे बढ़िया परफॉर्मेंस है.
1 मार्च से 19 मार्च के बीच FPI ने इक्विटीज में 14,202 करोड़ रुपये लगाए, लेकिन उन्होंने डेट सेगमेंट से 5,560 करोड़ रुपये की निकासी की है.