अप्रैल में चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है. पेट्रोल की बिक्री में जहां उछाल आया है वहीं डीजल की खपत में कमी आई है.
तेल कंपनियों से जुटाए गए शुरुआती आंकड़ों के अनुसार नवंबर में डीजल की खपत 7.5 प्रतिशत घट गई
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते इस कंपनियों को भारी नुकसान हुआ.
वोर्टेक्सा के अनुसार सितंबर में यूरोप को भारत का डीजल निर्यात लगभग 333,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था
कच्चे तेल पर विंडफाल टैक्स को 7,100 रुपए प्रति टन से घटाकार 6,700 रुपए प्रति टन कर दिया गया है
मानसून की वजह से आवाजाही प्रभावित होने और औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती की वजह से वाहन ईंधन की मांग में लगातार दूसरे महीने आई गिरावट.
चालू वित्त वर्ष 2023-24 में कच्चे तेल की कीमतों में अबतक सालाना आधार पर 30 फीसदी तक की कमी आ चुकी है.
देश की तीनों तेल मार्केटिंग कंपनियों को अप्रैल से सितंबर के दौरान संयुक्तरूप से 21,201.18 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.
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फ्यूल क्रेडिट कार्ड की मदद से पेट्रोल-डीजल की खरीद पर पैसे बचाने में मदद मिलती है