अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने के बाद भी भारतीय तेल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) ऊंचे खुदरा मूल्य पर ईंधन बेच रही हैं. इस वजह से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में कम से कम एक लाख करोड़ रुपए का परिचालन लाभ होने की उम्मीद है. कर-पूर्व लाभ को परिचालन लाभ कहा जाता है. वहीं कर देने के बाद होने वाले लाभ को शुद्ध लाभ कहते हैं. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में कच्चे तेल की कीमतों में अबतक सालाना आधार पर 30 फीसदी तक की कमी आ चुकी है. लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों ने इस दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई कटौती नहीं की. पेट्रोलियम कंपनियों ने मई, 2022 से तेल कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. बीपीसीएल (BPCL) ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अनुमान से ज्यादा मुनाफा कमाया है. अप्रैल-जून तिमाही में बीपीसीएल को 10,644 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है. एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी को 6,148 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था.
क्यों सस्ता नहीं हो रहा है पेट्रोल-डीजल
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां (ओएमीसी) एक लाख करोड़ रुपए का परिचालन लाभ कमा सकती हैं. वित्त वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान पेट्रोलियम कंपनियों का औसत परिचालन लाभ 60,000 करोड़ रुपए था. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह लाभ 33,000 करोड़ रुपए के निचले स्तर पर आ गया था. पिछले साल हुए भारी नुकसान की भरपाई करने के लिए तेल कंपनियों ने कच्चा तेल सस्ता होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटाए हैं. हालांकि अब उनका घाटा पूरा हो चुका है लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में दोबारा लौट रही तेजी ने कटौती की संभावना को फिलहाल रोक दिया है.
दो तरह से कमाती हैं कंपनियां
क्रिसिल की यह रिपोर्ट सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड(IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) पर आधारित है. पेट्रोलियम कंपनियां दो कारोबार से पैसा कमाती हैं. पहला कारोबार है रिफाइनिं, जिसमें उन्हें सकल रिफाइनिंग मार्जिन मिलता है. यह रिफाइनरी के गेट पर शोधित उत्पाद के दाम में से कच्चे तेल का दाम घटाकर निकाला जाता है. दूसरा कारोबार है पेट्रोल पंपों के जरिये पेट्रोल, डीजल की बिक्री करना. इसमें उन्हें ईंधन उत्पादों की खुदरा और थोक बिक्री पर मार्जिन मिलता है.
कंपनियों ने कमाया रिकॉर्ड मार्जिन
वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोलियम कंपनियों का सकल रिफाइनिंग मार्जिन औसत रूप से 15 डॉलर प्रति बैरल था. इसकी वजह विशेषरूप से डीजल की मांग मजबूत रहना है. प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने और यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी उत्पादों पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध की वजह से डीजल की मांग मजबूत रही थी.
आठ रुपए लीटर का हुआ नुकसान
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद इन कंपनियों को ऊंचा खुदरा दाम नहीं मिला. वित्त वर्ष के लिए कच्चे तेल का औसत दाम 94 डॉलर प्रति बैरल था. मई, 2022 से खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं हुआ, इसके चलते पेट्रोलियम कंपनियों को मजबूत रिफाइनिंग मार्जिन के बावजूद खुदरा ईंधन बिक्री पर आठ रुपए प्रति लीटर का नुकसान हुआ. इससे पूरे वित्त वर्ष के दौरान उनका मुनाफा प्रभावित हुआ.
कच्चे तेल की नरमी से हुआ फायदा
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब कच्चे तेल के दाम नीचे आ गए हैं, इससे वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में परिचालन नुकसान उठाने के बाद चौथी तिमाही तक इन कंपनियों ने ऊंचा परिचालन लाभ कमाया है.
मार्जिन में आ सकती है कमी
क्रिसिल रेटिंग के डायरेक्टर नवीन वैद्यनाथन का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में मार्जिन में बदलाव देखने को मिल सकता है. वैश्विक मांग-आपूर्ति असंतुलन में सुधार होने से इन कंपनियों का मार्केटिंग मार्जिन 5-7 रुपए प्रति लीटर और सकल रिफाइनिंग मार्जिन 6 से 8 डॉलर प्रति बैरल तक रह सकता है. यह अनुमान कच्चे तेल की औसत कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल और खुदरा पंप कीमतों में कोई कटौती न होने पर आधारित है.
लाभ कमाना है जरूरी
तेल उद्योग के लिए परिचालन लाभ कमाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कंपनियां उल्लेखनीय रूप से पूंजी निवेश भी कर रही हैं. वित्त वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान कंपनियों ने रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल क्षमता बढ़ाने, प्रोडक्ट पाइपलाइन और मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूंजी निवेश को बढ़ाकर 3.3 लाख करोड़ रुपए किया है.
बढ़ रहा है कर्ज
निवेश को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने से कंपनियों का सकल कर्ज भी दोगुना हो गया है. वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इन पर कुल 1.2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था, जो अब बढ़कर 2.6 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. हालांकि, इस दौरान उनका मुनाफा कमजोर रहा है. चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम कंपनियों का निवेश 54,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है.
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