देश में पेट्रोल की खपत अप्रैल में 12.3 प्रतिशत बढ़ गई. हालांकि, चुनाव प्रचार तेज होने के बावजूद डीजल की बिक्री में गिरावट जारी रही. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के शुरुआती आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. ईंधन बाजार में करीब 90 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इन पेट्रोलियम कंपनियों की कुल पेट्रोल बिक्री अप्रैल में बढ़कर 29.7 लाख टन हो गई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में खपत 26.5 लाख टन थी.
अप्रैल में डीजल की मांग 2.3 प्रतिशत घटकर 70 लाख टन रह गई जबकि इस ईंधन की मांग मार्च में भी 2.7 प्रतिशत घटी थी. डीजल की मांग में लगातार कमी होना इस लिहाज से अहम है कि देश में इस ईंधन की खपत सबसे अधिक होती है. खासकर चुनावी मौसम में प्रचार के लिए बड़े पैमाने पर डीजल से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है.
कीमतों में कटौती होने से निजी वाहनों का इस्तेमाल बढ़ने से पेट्रोल की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है. इस बीच फसल कटाई का मौसम और तेज गर्मी का मौसम आने से डीजल की मांग का रुख भी पलटने की उम्मीद है. मार्च के मध्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी. यह दो साल में पहला मौका था जब कीमतों में बदलाव हुआ था.
अगर मासिक आधार पर देखें तो मार्च के 28.2 लाख टन के मुकाबले अप्रैल में पेट्रोल की बिक्री 5.3 प्रतिशत घट गई. लेकिन डीजल के मामले में बिक्री मार्च के 67 लाख टन से 4.4 प्रतिशत बढ़ गई. डीजल भारत में सबसे अधिक खपत वाला ईंधन है, जो सभी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग 40 प्रतिशत है. देश में कुल डीजल बिक्री में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है. यह हार्वेस्टर और ट्रैक्टर सहित कृषि क्षेत्रों में उपयोग किया जाने वाला प्रमुख ईंधन है.