आयुष्मान भारत स्कीम को ग्रामीण और शहरी इलाकों में रह रहे 10 करोड़ गरीब परिवारों को हेल्थकेयर सर्विस मुहैया कराने के लिहाज से उतारा गया है.
इससे डॉक्टरों को इलाज में आसानी होगी. साथ ही कई नई रिपोर्ट्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और खर्च बच जाएगा.
हर व्यक्ति का एक यूनिक हेल्थ कार्ड बनेगा. इस कार्ड में किसी भी व्यक्ति की हेल्थ से संबंधित सारा डेटा होगा जो पूरी तरह से सुरक्षित और गोपनीय रखा जाएगा.
यह संख्या और शामिल किए गए परिवार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 के अभाव और व्यावसायिक मापदण्डों पर आधारित हैं.
इस योजना में सभी बीमारियों को शामिल किया गया है. इसमें दवाओं की लागत, डे केयर उपचार और निदान भी कवर किया जाता है.
इससे न सिर्फ गरीब को भी अमीर की तरह इलाज का हक मिला, बल्कि आर्थिक तौर पर फायदा मिलने से वह सशक्त भी हुआ है.
वास्तव में, 2014 से सरकार भारतीयों के लिए एक सोशल सिक्योरिटी नेट बनाने के लिए एक मजबूत सिस्टम बनाने पर फोकस कर रही है.
आयुष्मान भारत के तहत लाभार्थियों को एक ई-कार्ड मुहैया कराया जाता है. 10 अगस्त 2020 तक कुल 12.55 करोड़ PM-JAY के e-कार्ड जारी किए जा चुके हैं.
आर्थिक नजरिए से भले उचित न लगे, लेकिन मौजूदा हालात में गरीबों को मदद जरूरी है. TMC को बंगाल में जीत मिलने के बाद इसी रास्ते पर बढ़ना होगा.
Ayushman Bharat Yojana: अब कोई भी व्यक्ति आयुष्मान भारत कार्ड बिल्कुल मुफ्त में बनवा सकता है और इलाज के लिए आर्थिक लाभ ले सकता है.