कभी टेक्नोलॉजी और इंटरनेट की दुनिया का बादशाह रहा माइक्रोसॉफ्ट का ब्राउजिंग टूल इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) अब अलविदा कहने जा रहा है. नीले रंग का e और उसके ऊपर बनी हुई रिंग 90 के दशक और उसके बाद के दौर में ऐसी इकलौती चीज थी जो हम सबको चमत्कृत करती थी.
कम से कम अगर भारत के लिहाज से बात की जाए तो 1995-96 का दौर ऐसा रहा है जबकि इंटरनेट एक्सप्लोरर एक नई दुनिया में दाखिल होने का जरिया था. कर्व स्क्रीन वाले पुराने दौर के मॉनिटर, सीपीयू और सुस्त इंटरनेट में भी तकनीक और दुनिया से जुड़ने का इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) इकलौता जरिया था. यह एक सपने जैसा लगता था.
लेकिन, उस दौर को देख चुकी पीढ़ी शायद अब इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) को शिद्दत से मिस करने वाली है.
तकनीकी दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने हाल में ही ऐलान किया है कि वह अपने सबसे शुरुआती वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) को अब रिटायर करने वाली है. यह वेब ब्राउजर अब 15 जून 2022 तक ही रहेगा. यानी महज एक साल के बाद इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) बस यादों में रह जाएगा.
यूं हार गया माइक्रोसॉफ्ट का इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer)
हालांकि, दुनिया ने इस दौरान गूगल क्रोम (google chrome) और मोजिला फायरफॉक्स (mozilla firefox) ईजाद कर लिए हैं और पिछले लंबे वक्त में इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) इन तेज रफ्तार और नई पीढ़ी की जरूरतें पूरा करने वाले इन नए वेब ब्राउजर्स से मुकाबला हारता गया है.
अब आखिरकार वो वक्त आ गया है जबकि माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) की हार को स्वीकार कर लिया है. हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट ने खुद भी नई जरूरतों के हिसाब से अपना एक और वेब ब्राउजर माइक्रोसॉफ्ट ऐज (Microsoft Edge) लॉन्च किया है और पिछले कुछ वक्त से वो इसी नए ब्राउजर पर ज्यादा जोर दे रही है.
ऐसे में अगर आप भी पुराने दौर के हैं और इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) के साथ लगाव महसूस करते हैं तो आपके पास अब करीब एक साल का ही वक्त इसके साथ बिताने को मिलेगा. उसके बाद ये हमारी दुनिया से गायब हो जाएगा.
हालांकि, ये लंबे वक्त से लग रहा था कि एक दिन इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) को बंद होना पड़ेगा, लेकिन जो लोग तकनीक की दुनिया से ज्यादा जुड़े हुए नहीं हैं उनके लिए ये एक बुरे सरप्राइज जैसा है.
गूगलिंग ने खत्म की दुनिया
आप IT इंडस्ट्री से जुड़े हों या न जुड़े हों, लेकिन गूगल करना या गूगलिंग आपकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. दूसरी तरफ, आपने कभी “माइक्रोसॉफ्टिंग” जैसा शब्द नहीं सुना होगा.
यहीं पर माइक्रोसॉफ्ट पिछड़ गया.
आंकड़े
गूगल दुनिया की कुल वेब सर्च में 92.24% हिस्सेदारी रखता है. यानी हर दिन 3.5 अरब से ज्यादा रिक्वेस्ट गूगल के पास आती हैं.
दूसरी ओर, माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) का सर्च इंजन बिंग (Bing) इस दौड़ में केवल 2.29% हिस्सा रखता है.
लोग Microsoft के इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) के जरिए भी गूगल सर्च कर सकते हैं. लेकिन, दुनिया ने गूगल क्रोम (Chrome) को इंस्टॉल करने को ज्यादा तवज्जो दी है.
खैर, सुस्त पड़ चुके और समय के साथ खुद को बदल पाने में असफल रहने वाली हर चीज का दौर खत्म हो जाता है. माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) के साथ भी यही हुआ है.
बाकी, ये उस दौर के लोगों की याद में शायद हमेशा बना रहेगा.