Koo vs Twitter : सोशल मीडिया के ग्‍लोबल लीडर्स को चुनौती देंगे इंडियन ऐप डेवलेपर्स

भारत ट्विटर के रूप में कू ऐप(Koo vs Twitter) को लेकर आया है. भारत में इसे ट्विटर के विकल्‍प के रूप में प्रचारित किया जा रहा है.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 15, 2021, 01:20 IST
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Koo vs Twitter : कुछ फेमस चीनी ऐप्‍स पर रोक लगाने के निर्णय के बाद ये तय था कि भारत तकनीकी रूप से अब खुद को और आगे बढ़ाएगा. अभी तक भारत में चीन अपनी नई हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तकनीक के साथ दबदबा बना रहा था. भारत के चीनी ऐप्‍स पर रोक लगाने के कदम के बाद ऐप डेवलेपर्स ने देश को तकनीक के मामले में आत्‍मनिर्भर बनाने के बारे में सोचना शुरू किया. मेक इन इंडिया ऐप्‍स की ये सोच भारत में चीनी ऐप की बढ़ती संख्‍या का मुकाबला करने के लिए थी. भारतीय ऐप डेवलपर्स अब सोशल मीडिया और माइक्रोब्‍लॉगिंग के ग्‍लोबल लीडर्स को चुनौती देने की योजना बना रहे हैं. इसी योजना को आगे बढ़ाते हुए भारत ट्विटर के रूप में कू ऐप(Koo vs Twitter) को लेकर आया है. भारत में इसे ट्विटर के विकल्‍प के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. कू निश्चित रूप से आत्‍मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज का विजेता है. हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि सोशल मीडिया के एक प्‍लेटफॉर्म के रूप में Koo हमें क्‍या सुविधाएं देगा. वहीं क्‍या ये आने वाले समय में Twitter से बेहतर साबित होगा या नहीं.

क्‍या है कू ?
कू एक माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है जो ट्विटर से बहुत सारे क्‍यू लेता है. जैसे Twitter में आप अपने थॉटस पोस्ट कर सकते हैं. लिंक साझा कर सकते हैं. वीडियो पोस्ट कर सकते हैं. मेम्स, पोल और पब्लिक फिगर को फॉलो कर सकते हैं. साथ ही आर्गनाइजेशनस, फ्रैंडस आदि के विचारों को फिर से (री-ट्वीट) कर सकते हैं. ट्विटर में जहां मेसेज लिखने के लिए 280 करेक्‍टर की लिमिट है. वहीं Koo लोगों को उनके विचारों को पोस्‍ट करने के लिए 400 शब्‍दों तक के मेसेज लिखने की लिमिट प्रदान करता है.
वहीं कू पर साइन-अप करने की प्रक्रिया भी काफी आसान है. देश में ग्रामीण इलाकों के लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए कू के डेवलेपर्स ने सोचा की इसे अन्‍य ऐप की तुलना में आसान बनाया जाए. बाकी ऐप जहां फोन नंबर और ओटीपी आदि के साथ ऐप को साइन-अप करने के लिए पूछते हैं. वहीं कू को ई-मेल या अन्‍य सोशल मीडिया के प्‍लेटफार्मों के माध्‍यम से भी साइन अप किया जा सकता है.
सबसे अच्छी बात यह है कि आप अपने मौजूदा सोशल मीडिया हैंडल को ऐप से भी जोड़ सकते हैं. जैसे कि ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि. यह आपके विचारों को कू पर भी पोस्ट करने के लिए काफी आसान है.

क्‍या आपको कू को साइन-अप करना चाहिए ?
यह सवाल हमेशा एक बहुत ही पर्सनल होता है. अगर आप ट्विटर इस्‍तेमाल कर रहे हैं तो कू आपके लिए एक नया प्‍लेटफार्म हो सकता है. ट्विटर जहां अभी रीजनल लैंगवेज फ्रैंडली नहीं है. वहीं कू रीजनल लैंगवेज को ध्‍यान में रखकर ही बनाया गया है. यह रीजनल लैंगवेज को सपोर्ट करता है. अगर आप अपनी रीजनल लैंगवेज में ब्‍लॉग करना चाहते हैं तो कू आपके लिए एक बेहतरीन प्‍लेटफार्म हो सकता है. ये लोगों को विभिन्‍न भारतीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी के विकल्‍प को सेलेक्‍ट करने का भी मौका देता है. कू अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल मराठी, बंगाली, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, असमिया और गुजराती लैंगवेज चुनने का विकल्‍प देता है.

कू सुरक्षा मानकों का करता है पालन
कू एक नया ऐप है और इसमें नए ऐप की तरह समस्याएं हैं. कई बार हमने इसका इस्तेमाल किया और दुनिया भर में कई लोगों ने यह माना कि इसमें डेटा गोपनीयता सुरक्षा का अभाव है. हालांकि कू के सीईओ ने आश्वासन दिया है कि यह सभी डेटा गोपनीयता और सुरक्षा मानकों का पालन करता है. ऐसे में इसका इस्‍तेमाल करने वालों को उनकी गोपनीयता के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. उनके मुताबिक कू की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. लोगों के बीच आने वाले समय में ये एक बेहतरीन ऐप होगा.
अभी फोटो और वीडियो को पोस्‍ट करने के मामले में कू ट्विटर से पीछे है. इसमें समय ज्‍यादा लगता है. कू को इस मामले में ट्विटर से सीखने की जरूरत है. ट्विटर ने लोगों के लिए फोटो और वीडियो आदि को पोस्‍ट करने की प्रक्रिया को काफी आसान बनाया है. जब हमने कू इस्‍तेमाल किया तो कुछ समस्‍याएं आई. इसमें एक कू पोस्‍ट करने के बाद कुछ ही घंटों में ये टाइमलाइन से हट गया. इसके बाद रिबूट करके जब दोबारा साइन-अप करने की कोशिश की तो भी इसमें समस्‍या आई. ऐप डेवलेपर्स को इस दिशा में अभी और काम करने की जरूरत है. जिससे इसे लोगों के लिए और आसान बनाया जा सके.

क्या कू ट्विटर का विकल्‍प हो सकता है?
ये एक ऐसा सवाल है जो सामने वाले पर निर्भर करता है. कू भारत के लोगों के हिसाब से काफी अच्‍छा है. लेकिन जब ग्‍लोबल आउटरीच की बात आती है तो यह उतना अच्‍छा विकल्‍प नहीं है. अभी इसे भारत में ही लोगों के बीच ज्‍यादा इस्‍तेमाल होता देखा जाएगा. क्‍योंकि यह भारतीयों को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है. अभी कई सरकारी एजेंसियों सहित अधिकारी कू को इस्‍तेमाल कर रहे हैं.
ट्विटर को चुनौती देने के लिए किसी भारतीय ऐप द्वारा यह पहला प्रयास भी नहीं है. इसके पहले टॉटर ने भी ऐसा किया था. हालांकि कू के पास अभी एक ऐसा ऐप होने की क्षमता है जो भारत में ट्विटर के सामने चुनौती पेश कर सकता है. अभी हमारे सामने अभी ट्विटर की तर्ज पर कू सिर्फ एक और मी-ऐप है. ये अच्‍छा तो है लेकिन शायद बहुत अच्‍छा नहीं है!

Published - February 15, 2021, 01:20 IST