कोरोना संकट के दौर में चीन के सामान का भारत में बहिष्कार देखा गया. साथ ही सरकार ने भी चीनी ऐप्स पर नकेल कसना शुरू किया और 250 से ज्यादा ऐप्स (Apps) को भारत में बैन किया गया. इसमें पबजी, शीन, वीचैट, टिकटॉक जैसे लोकप्रिय ऐप्स भी शामिल थे. इसी का असर चीनी ऐप्स (Chinese Apps) की हिस्सेदारी पर भी देखने को मिला है. मोदी सरकार भी लोकल को ही बढ़ावा देने के लिए बार-बार जोर दे रही है.
चीनी ऐप की भारत में बाजार हिस्सेदारी 2020 के दौरान घटी, जबकि ‘इंस्टॉल’ (Install) संख्या के आधार पर देशी ऐप का बोलबाला बढ़ा है.
मोबाइल कार्य संबंध और विपणन विश्लेषण की वैश्विक संस्था ऐप्सफ्लायर (AppsFlyer) की रिपोर्ट ‘भारत में 2021 में ऐप विपणन की स्थिति’ में कहा गया है कि अर्ध-शहरी क्षेत्रों (Semi-Urban Areas) की मदद से भारत की ऐप अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी हुई, और घरेलू ऐप ने विदेशी कंपनियों को पछाड़ते हुए मोबाइल बाजार हिस्सेदारी में अपना वर्चस्व कायम किया.
ऐप्सफ्लायर (AppsFlyer) के क्षेत्रीय प्रबंधक (Reginal Manager) संजय त्रिसाल ने कहा कि चीनी ऐप की कुल बाजार हिस्सेदारी (29 प्रतिशत) काफी कम हो गई है, जबकि भारतीय ऐप्स (Indian Apps) ने 2020 में मौके का लाभ उठाया और उसकी बाजार हिस्सेदारी 40 प्रतिशत हो गई.
उन्होंने कहा कि इस तेजी से बढ़ते बाजार में इजरायल, अमेरिका, रूस और जर्मनी के ऐप तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं और वे चीन को चुनौती देने के लिए तैयार हैं.
अध्ययन के तहत एक जनवरी से 30 नवंबर 2020 के बीच भारत में कुल 7.3 अरब ‘इंस्टॉलेशन’ का विश्लेषण किया गया, जिसमें मनोरंजन, वित्त, शॉपिंग, गेमिंग, यात्रा, समाचार, भोजन और पेय, और उपयोगिता संबंधी 4519 ऐप शामिल हैं.
क्यो लगा था बैन?
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए लिविक, वीचैट वर्क और वीचैट रीडिंग, ऐपलॉक, कैरम फ्रेंड्स जैसे मोबाइल ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगाया गया था. इससे पहले भारत ने लघु वीडियो शेयरिंग ऐप टिकटॉक समेत कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह कार्रवाई पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग त्सो में भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की ताजा कोशिशों के बाद हुई है.
PTI इनपुट के साथ.