पिछले वित्त वर्ष में आदित्य को क्रिप्टो में निवेश से अच्छी कमाई हुई है. उन्हें दोस्त ने बताया कि इस कमाई को आयकर रिटर्न (ITR) में दिखाना होगा तो वह झल्ला जाते हैं कि आखिर सरकार जानना क्या चाहती है? अगर आपने अभी तक आईटीआर नहीं भरा है तो कुछ बातों को अच्छी तरह से समझ लें. असेसमेंट ईयर 2023-24 के रिटर्न में कुछ बदलाव किए गए हैं. इनमें एक बदलाव बिटक्वाइन समेत वर्चुअल डिजिटल एसेट से जुड़े हैं. अगर आपने भी आदित्य की तरह क्रिप्टो करेंसी से कमाई की है तो इस बदलाव के बारे में जान लेना चाहिए. इसके अलावा कुछ और भी बदलाव हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए वरना आप मुश्किल में फंस सकते हैं.
वर्चुअल डिजिटल एसेट पर टैक्स
एक अप्रैल 2022 से क्रिप्टो करेंसी समेत वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) से जुड़ी कमाई पर टैक्स लगाने के लिए आयकर कानून में विशेष प्रावधान किए गए हैं. इसके अलावा, सेक्शन 194S के तहत कुछ मामलों में बायर को क्रिप्टो खरीद का पेमेंट करने से पहले 1 फीसदी TDS काटना होगा… वर्चुअल डिजिटल एसेट से कमाई का खुलासा करने के लिए ITR फॉर्म में शेड्यूल VDA जोड़ा गया है… इसमें टैक्सपेयर को क्रिप्टो करेंसी से हुई कमाई का ब्योरा देना होगा. साथ ही, यह भी बताना होगा कि इसे बिजनेस इनकम माना जाए या कैपिटल गेन. अगर आपने ये कमाई छिपाई तो पकड़े जाने परा 200 फीसद तक जुर्माना देना होगा.
वित्त वर्ष 2022-23 में अगर क्रिप्टो करेंसी से आपने कोई कमाई की है तो रिटर्न भरते वक्त किसी भी परेशानी से बचने के लिए जरूरी जानकारियां अपने पास रखें. आपको रिटर्न में वर्चुअल डिजिटल एसेट के अधिग्रहण यानी खरीदने की तारीख, ट्रांसफर यानी बेचने की तारीख, बेचने से हुई कमाई और ये कमाई किस तरह की है. आदि जैसी बारीक डिटेल देनी होगी.
फॉर्म-26AS और AIS को चेक करें
करदाताओं को अपना फॉर्म 26AS और एनुअल इंफोर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) चेक करना चाहिए ताकि वर्चुअल डिजिटल एसेट के मामले में कटे TDS को इनकम टैक्स रिटर्न में शामिल किया जा सके. अगर आपकी सैलरी के साथ वर्चुअल डिजिटल एसेट से इनकम है तो आप ITR-1 नहीं भर सकते. इसके बजाय आपको ITR-2 भरना पड़ेगा. क्रिप्टो, Non-Fungible Token (NFT) जैसे वर्चुअल डिजिटल एसेट की बिक्री से होने वाली आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है.
दान और चंदे से जुड़ा बदलाव
दूसरा बदलाव डोनेशन यानी चंदे से जुड़ा है. अगर आपने चंदा दिया है जिस पर सेक्शन 80G के तहत टैक्स छूट ली जा सकती है तो केवल रसीद से काम नहीं चलेगा. आयकर फॉर्म में नया कॉलम जोड़ा गया है. इस कॉलम में संस्था को किए गए दान के लिए डोनेशन रेफरेंस नंबर की जानकारी देनी होगी, जहां योग्यता सीमा के अधीन 50 फीसदी कटौती की अनुमति है. दान लेने वाली संस्था की ओर से जारी फॉर्म 10BE या रसीद में डोनेशन रेफरेंस नंबर मेंशन होना चाहिए.
शेयरों से कमाई का नया कॉलम
अगला बदलाव शेयर मार्केट वालों के लिए है. ITR फॉर्म में ‘ट्रेडिंग अकाउंट’ नाम से एक अलग कॉलम जोड़ा गया है जिसमें लोगों को अपनी इंट्रा डे ट्रेडिंग गतिविधियों के बारे में अलग से जानकारी देनी होती है. इसमें आपको इंट्रा डे ट्रेडिंग के टर्नओवर और इंट्रा डे ट्रेडिंग से हुई कमाई को रिपोर्ट करना होगा. ITR-3 फॉर्म में यह कॉलम जोड़ा गया है.
कर व्यवस्था का विकल्प
ITR-3 और ITR-4 के अंदर के एक नई प्रश्नावली (questionnaire) जोड़ी गई है जो बिजनेस इनकम वालों के लिए है. इस प्रश्नावली में टैक्सपेयर को बताना होगा कि क्या उसने पिछले सालों में सेक्शन 115BAC के तहत न्यू टैक्स रिजीम को चुना है या फिर इस व्यवस्था से बाहर आए हैं. इससे कर अधिकारियों को यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या किसी ने अतीत में नई कर व्यवस्था का उपयोग किया था. बिजनेस इनकम वाले लोग केवल एक बार ही टैक्स रिजीम के बीच स्विच कर सकते हैं. यानी अगर वो पुरानी कर व्यवस्था से नई कर व्यवस्था में आते हैं तो पुरानी कर व्यवस्था में वापस जाने का मौका उन्हें एक बार ही मिलेगा जबकि नौकरीपेशा व्यक्ति हर साल टैक्स रिजीम चुन सकते हैं.
अगर आप भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने जा रहे हैं तो आदित्य की तरह ये बदलाव आपके काम आ सकते हैं. रिटर्न फाइल करते समय आपको कुछ और बातों का ध्यान रखना होगा. जैसे अपनी इनकम के आधार पर सही ITR फॉर्म चुनें. इनकम को सही हे़ड यानी मद में दिखाएं. आईटीआर भरने के बाद उसे वैरिफाई करना न भूलें. सैलरी के अलावा अगर कोई और इनकम है तो उसे रिटर्न में जरूर रिपोर्ट करें वरना आपको भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. साथ ही जेल भी हो सकती है.
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