भूलकर भी न करें ये गलती नहीं तो देना होगा दोगुना TDS और TCS

TDS: दो सालों में 50,000 रुपये से ज्यादा TDS और TCS कटा है तो ऐसे मामले में तय दर की जगह डबल रेट से या 5% की दर से टैक्स कटेगा.

how to get income tax benefits from insurance policy

बीमाधारक की मौत होने पर नॉमिनी को मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है. यानी इस पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है.

बीमाधारक की मौत होने पर नॉमिनी को मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है. यानी इस पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है.

एक प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग क्लायंट को पिछले 5 सालों से हाउसकीपिंग सर्विस दे रहे निलेश राठौड़ हर महीने 4.5 लाख रुपये का बिल जमा करवाते हैं. इसपर 2 फीसदी TDS (9,000 रुपये) कटने के बाद उनका बिल पास होता है. इस हिसाब से साल में उनका टीडीएस 1,08,000 रुपये कटता है. निलेश दूसरे क्यालंट को भी सर्विस देते हैं. वहां से TDS कटने के बाद उनको चेक मिलते हैं. निलेश ने आज तक ITR फाइल नहीं किया और उनका TDS अमाउंट भी 50,000 रुपये से ज्यादा हो रहा है.

ऐसे में नए प्रावधान के तहत उनके क्लायंट 2 फीसदी की जगह 4 फीसदी TDS काटकर बिल पास करेंगे. अगर आप भी निलेश जैसी गलती कर रहे हैं तो संभवतः आपको भी डबल रेट ऑफ टैक्स देना होगा.

जानिए किस पर लागू होगा कानून

नॉन-सैलरिड व्यक्ति जिन्हें इंटरेस्ट से, कॉन्ट्रैक्ट से, डिविडेंड से, रेंट से, प्रोफेशनल सर्विस से या प्रॉपर्टी डील से आय होती है उनपर ये कानून लागू है. वहीं, वे लोग जो यह नहीं दिखाते कि लगातार दो सालों में उन्होंने 50,000 रुपये से ज्यादा TDS और TCS कटवाया है तो ऐसे केस में प्रिस्क्राइब्ड रेट ऑफ टैक्स कि जगह डबल रेट से या 5 फीसदी की दर से टैक्स कटेगा.

क्या है नए प्रावधान

आयकर कानून, 1961 के तहत मार्च 2021 से लागू हुए दो नए प्रावधान 206AB और 206CCA के तहत दोगुने दर पर टैक्स या 5 फीसदी टैक्स, जो भी उच्चतम हो उतना TDS (टैक्स डिडक्टेड एस सोर्स) और TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) देना होगा.

इसका आधार दो शर्तों पर है, एक कि व्यक्ति ने पिछले दो सालों से ITR ना भरा हो या पिछले दोनों सालों में से प्रत्येक साल इतनी आय हुई हो कि 50,000 रुपये से ज्यादा TDS या TCS कटे.

पुराने प्रावधान तो पहले से ही है

टैक्स चोरी रोकने के लिए पहले से ही 206AA और 206CC के लागू है, जिसके तहत, यदि आप TDS और TCS पर्पज के लिए PAN नबंर नहीं देते है तो ऊंचे दर के हिसाब से TDS या TCS काटा जाता है. यानि कोई व्यक्ति बैंक को पैन नंबर नहीं देता है तो बैंक उसके इंटरेस्ट पर ज्यादा टैक्स (10% की जगह 20%) रेट से TDS काटती है.

लोग क्यों नहीं भरते ITR

जिन लोगों को बिजनेस से या अन्य सोर्स से आय होती है, उसमें से 1% या 2% TDS या TCS कट जाता है. मगर ये कटौती उनके लिए बहुत मामूली है. कई लोग इतनी कटौती को बिजनेस कॉस्ट समझ कर जाने देते है और रिटर्न फाइल नहीं करते हैं.

कम्प्लायन्स कॉस्‍ट

CA धवल लिम्बानी, पार्टनर, ABB & एसोसिएट्स के मुताबिक, “जो लोग रिटर्न फाइल नहीं करते हैं उन्हें इस नियम की वजह से डबल रेट से टैक्स भरना पड़ेगा. मगर ऐसे लोग जिस क्लायंट के साथ काम करते हैं उनका कम्प्लायन्स कॉस्‍ट बढ़ गया है.” क्लायंट को ऐसे वेंडर या प्रोफेशनल की टैक्स से जुड़ी निजी जानकारी रखनी पड़ेगी और वो ITR फाइल करता है कि नहीं वो भी ऑडिट में दिखाना पड़ता है.

Published - May 17, 2021, 06:37 IST