सरकार इनकम टैक्स का बेस बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाल ही में मूल्यांकन वर्ष 2024-25 के लिए रिटर्न दाखिल करने के लिए आईटीआर फॉर्म 2, 3 और 5 को जारी किए हैं. हर वर्ग के लिए अलग-अलग फॉर्म है. जिन लोगों की सालाना आय 50 लाख रुपए से ज्यादा है या जिनके पास एक से अधिक घर हैं, उन्हें आईटीआर दाखिल करते समय अतिरिक्त विवरण देना होगा. ये जानकारी आईटीआर-2 के तहत देनी होगी. अगर इस दौरान कोई तथ्य छुपाया तो भारी पेनाल्टी देनी पड़ सकती है.
नियमों के तहत आयकरदाताओं को कानूनी इकाई पहचानकर्ता (LEI) का विवरण देना होगा. इसके तहत राजनीतिक दलों को दिया गया चंदा, जिसमें भुगतान की तारीख और तरीका शामिल है और विकलांग व्यक्ति के आश्रित के चिकित्सा उपचार सहित भरण-पोषण के लिए दावा की गई किसी भी कटौती की जानकारी आदि शामिल है. एलईआई 50 करोड़ रुपए से अधिक के रिफंड क्रेडिट के लिए जरूरी है.
आईटीआर-2 एक से अधिक घर रखने वाले व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) या 50 लाख रुपए से अधिक आय वाले लोगों की ओर से दाखिल किया जाता है. वहीं व्यक्तिगत करदाता जो किसी व्यवसाय या पेशे से आय अर्जित करते हैं, उन्हें ITR-3 दाखिल करना होता है. आईटीआर-4 50 लाख रुपए तक की आय वाले निवासी व्यक्तियों, एचयूएफ और एलएलपी के अलावा अन्य फर्मों के लिए है. यह आय या तो किसी व्यवसाय या पेशे से हो सकती है.
क्या होता है LEI?
आयकर के नए नियमों के मुताबिक आईटीआर-2 फॉर्म भरने के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर (LEI) का विवरण देना होगा. एलईआई एक 20 अंकों का यूनिक कोड होता है. यह ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में आपकी पहचान कर सकता है. साथ ही किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे का पूरा विवरण और विकलांग व्यक्ति के मेडिकल ट्रीटमेंट में हुए खर्च का विवरण भी को ऑडिट में दिखाना पड़ेगा. इसके बाद टैक्स ऑडिट कराने के लिए व्यक्ति या एचयूएफ भी ईवीसी के साथ आईटीआर को सत्यापित कर सकते हैं.