दाल के महंगे होने की आशंका बढ़ गई है. आंध्र प्रदेश अथॉरिटी फॉर एडवांस रुलिंग्स यानी AAR ने आदेश जारी किया है कि प्रोसेस्ड दालों पर 18 फीसद की दर से जीएसटी लगेगा. AAR का मानना है कि साबूत दलहन का छिलका उतारकर और उसका टुकड़ा करने के बाद मिली प्रोसेस्ड दाल साबूत दलहन से अलग होती है और साथ ही यह प्रत्यक्ष कृषि उपज भी नहीं होती है, इसलिए इस पर जीएसटी लगेगा. इसके अलावा थोक कारोबारियों और मिलर्स या किसानों के बीच कारोबार की सुविधा के लिए कृषि उत्पादों पर वसूली जाने वाले ब्रोकरेज पर भी 18 फीसद की दर से जीएसटी लगाने का आदेश दिया है.
आंध्रप्रदेश की कंपनी से जुड़ा है मामला
जानकारी के मुताबिक आंध्र प्रदेश की एक कंपनी उड़द दाल एवं इसकी कई किस्म, मूंग दाल एवं इसकी कई किस्म, तुअर, ज्वार के लिए ब्रोकर का काम करती है. यह मामला उसी कंपनी से जुड़ा हुआ है. कंपनी की ओर से संबंधित पक्षों से प्रति बोरी एक तयशुदा शुल्क वसूला जाता है. कंपनी का नाम बिक्री या खरीद के ट्रांजैक्शन के किसी भी इनवायस में नहीं है. इस कंपनी के पास जीएसटी का रजिस्ट्रेशन है और यह 18 फीसद शुल्क की वसूली करती है. हालांकि कंपनी को देशभर कई पक्षों की ओर से विरोध होता है. संबंधित पक्षों का कहना है कि कृषि उत्पादों और ब्रोकरेज पर जीएसटी नहीं लगती है.
कंपनी इसी को ध्यान में रखते हुए आंध्र प्रदेश अथॉरिटी फॉर एडवांस रुलिंग्स से निर्देश मांगा कि क्या छिलके को अलग करने और टुकड़ा करने के बाद तैयार उत्पाद पर जीएसटी लगेगा या फिर नहीं. एएआर का मानना है कि किसानों के द्वारा या खेत में सामान्तया अनाज से छिलके को अलग या फिर उसका टुकड़ा नहीं किया जाता है. इसको दाल मिलों के द्वारा ही किया जाता है. एएआर का मानना है कि छिलके को अलग करने या उसका टुकड़ा करने के बाद तैयार उत्पाद कृषि उपज नहीं है. हालांकि AAR ने स्पष्ट किया है कि साबूत चना, राजमा जैसी साबूत दालों को कृषि उपज की परिभाषा में शामिल किया गया है. साथ ही कहा कि प्रोसेस्ड दालों को कृषि उपज की परिभाषा से बाहर रखा गया है और उनके ऊपर जीएसटी मान्य है.