New Vs Old Tax Regime: टैक्यपेयर्स के पास अब दो टैक्स स्ट्रक्चर का ऑप्शन है – नया और पुराना – दोनों में से किसी एक को चुनना होगा. 2020 के बजट में नए टैक्स सट्रकचर (Tax Structure) को इस मकसद से लाया गया था कि सरकार टैक्स डिडक्शन और एक्जेंप्शन को कम कर सकें. इसकी घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि टैक्सपेयर्स को 10 से भी ज्यादा तरह-तरह के टैक्स छूट मिल रहे हैं और नया टैक्स स्ट्रकचर ऐसा होगा जसमें 70 छूट को हटाया जाएगा, लेकिन कम दर पर टैक्स लगेगा.
सेक्शन 80C, 80D, HRA, होम लोन इंट्रस्ट जैसे तमाम छूट से अगर आपको ज्यादा फर्क नहीं पड़ता यानि न आपके पास होम लोन है, न ही आप कोई टैक्स बचत के लिए करते हैं तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए सही है. जितनी कमाई उस पर स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स चुकाना होगा.
New Vs Old Tax Regime: नए और पुराने टैक्स की दर
इनकम स्लैब |
पुराना रिजीम |
नया रिजीम |
2.5 लाख रुपए तक |
Nil |
Nil |
2.5 से 5 लाख रुपए |
5% |
5% |
5 से 7.5 लाख रुपए |
20% |
10% |
7.5 से 10 लाख रुपए |
20% |
15% |
10 से 12.5 लाख रुपए |
30% |
20% |
12.5 से 15लाख रुपए |
30% |
25% |
15 लाख रुपए से ऊपर |
30% |
30% |
Tax Regime: नए रिजीम में कौन सी छूट मिलती रहेगी?
नइ रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction), इनकम टैक्स के चैप्टर VI A के सारे छूट यानि 80C डिडक्शन – इंश्योरेंस प्रीमियम, ट्यूशन फीस, होम लोन प्रिंसिपल पेमेंट औऱ हेल्थ इंश्योरेंस पर मिलने वाली छूट नहीं मिलेगी. लेकिन, कुछ छूट जो नई रिजीम में मिलेगी वो हैं –
– सेक्शन 80CCD(2) के तहत NPS में एम्पलॉयर का कंट्रीब्यूशन
– 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी
– सेक्शन10 (10D) के तहत इंश्योरेंस की मैच्योरिटी
– PPF और सुकन्या समृद्धि स्कीम की मैच्योरिटी का पैसा
– कुछ चुनिंदा पोस्ट ऑफिस स्कीम का 3,500रुपए तक का ब्याज
कैसे चुनें टैक्स रिजीम?
अगर आप समझ नहीं पा रहे कि कौन सा टैक्स सिस्टम है आपके लिए सही तो इनकम टैक्स वेबसाइट https://www.incometaxindiaefiling.gov.in पर आप टैक्स कैलकुलेटर के जरिए अपनी कमाई और छूट का ब्यौरा देकर टैक्स कैलकुलेट करके देख सकते हैं. टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा के मुताबिक अगर आप ज्यादा डिडक्शन (Deduction) फायदा उठाते हैं तो पुरानी रिजीम फायदेमंद रहेगी और कम डिडक्शन लेते हैं तो नई रीजिम में फायदा है. मान लीजिए सालाना इनकम 15 लाख रुपये है और केवल 50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन लिया तो टैक्सेबल आय होगी 14,50,000 – पुराने टैक्स रीजिम के तहत 2,57,400 रुपए का टैक्स लगेगा और नई रीजिम तुनेंगे तो 1,95,000 का टैक्स देना होगा. नए और पुराने टैक्स में 62,400 रुपए का अंतर है.
टैक्स कैलकुलेशन
लो डिडक्शन | मीडियम डिडक्शन | हाई डिडक्शन | वेरी हाई डिडक्शन | |
ग्रॉस इनकम | 1500000 | 1500000 | 1500000 | 1500000 |
नेट इनकम | 145000 | 1300000 | 1100000 | 890000 |
नफा/नुकसान | 62400 | 15600 | -46800 | -80080 |
पुराना टैक्स रिजीम | 2,57,400 | 210000 | 148200 | 114920 |
नया टैक्स रिजीम | 195000 | 195000 | 195000 | 195000 |
सैलरीड टैक्सपेयर्स को वित्तीय साल (Financial Year) के शुरुआत में तय करना होगा कि वो पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में टैक्स देगें या नए. हालांकि अगर रिटर्न फाइल करते वक्त उन्हें लगे कि जो टैक्स रीजिम उन्होंने चुना है वो टैक्स नहीं बचा रहा तो वो स्विच भी कर सकते हैं. हर साल चाहें तो विकल्प को बदला जा सकता है.
टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा के साथ देखिए पूरी बातचीत इस वीडियो में…
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