मॉरिशस के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को भारतीय पूंजी बाजार (Indian Capital Market) में निवेश के मामले में टैक्स में जो राहत मिलती थी, सरकार ने उसे समाप्त कर दिया है. भारत और मॉरिशस के बीच जो कर-संधि (Tax Treaty) थी उसमें बदलाव किया गया है और अब मॉरिशस के रास्ते आने वाले FPIs की सख्त जांच की जाएगी.
7 मार्च को भारत-मॉरिशस के बीच हुआ समझौता
टैक्स-ट्रिटी में हुए बदलाव पर भारत और मॉरिशस ने 7 मार्च को ही हस्ताक्षर किए थे. सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस संशोधन को 10 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया. इस संशोधन में प्रिंसिपल परपस टेस्ट (PPT) को शामिल किया गया है. इसका उद्देश्य करदाताओं द्वारा कर-संधि के दुरुपयोग पर अंकुश लगाना है.
अमेरिका और यूरोप के फंड्स पकड़ते हैं मॉरिशस रूट
अंतरराष्ट्रीय फंड्स, खास तौर से अमेरिका और यूरोप स्थित बड़े निवेशक भारत में निवेश के लिए मॉरिशस, सिंगापुर, नीदरलैंड या लक्जेमबर्ग रूट का इसतेमाल करते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि टैक्स के मामले में भारत के साथ इन देशों के संबंध अनुकूल रहे हैं.
फरवरी में मॉरिशस कैबिनेट हुई थी राजी
भारत के साथ डबल टैक्सेशन अव्यॉडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में संशोधन को लेकर मॉरिशस की कैबिनेट फरवरी में सहमत हुई थी. यह OECD यानी इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट द्वारा प्रस्तावित मानकों के अनुरूप है. हालांकि, दोनों देशों ने इस पर 7 मार्च को हस्ताक्षर किए और यह 10 मार्च यानी बुधवार को सार्वजनिक हुआ.
कितनी है मॉरिशस के FPI की हिस्सेदारी
एफपीआई फ्लो के मामले में मॉरिशस चौथे स्थान पर है. भारत में FPI के जितने एसेट्स हैं उनमें 6 फीसद हिस्सेदारी मॉरिशस की है. 2023 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी FDI के मामले में ये देश दूसरे स्थान पर था. वहां से 6.1 बिलियन डॉलर का इनफ्लो आया था.