प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद यानी PMEAC के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने मंगलवार को कहा कि सरकार को माल एवं सेवा कर (GST) के कारण राजस्व का नुकसान हो रहा है। बिबेक देबरॉय ने GST की 4 अलग अलग दरों के बजाय एक मात्र दर की वकालत की और यह भी कहा कि जो दर तय हो वह रेवेन्यु न्यूट्रल होनी चाहिए, यानि दर से अगर सरकार को राजस्व में कमाई न हो तो नुकसान भी नहीं होना चाहिए. बिबेक देबरॉय ने उद्योग समूह कलकत्ता चैबंर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में यह बयान दिया है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले कुछ समय के दौरान GST की दरें काफी सुगम हुई हैं.
देबरॉय ने कहा, ‘‘आदर्श GST वह है जिसमें एक ही दर हो और इसका मकसद रेवेन्यु न्यूट्रल होना था। वित्त मंत्रालय की गणना के अनुसार, जब GST पहली बार लागू किया गया था, तो औसत दर कम से कम 17 प्रतिशत होनी चाहिए थी। लेकिन मौजूदा दर 11.4 प्रतिशत है। जीएसटी की वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है”
उन्होंने कहा कि जनता के साथ-साथ GST काउंसिल के सदस्य भी चाहते हैं कि 28 प्रतिशत कर की दर कम हो। लेकिन कोई भी नहीं चाहता कि शून्य और तीन प्रतिशत कर की दरें बढ़ें। उन्होंने मजबूत और आत्मनिर्भर भारत पर विशेष सत्र’ में कहा, ‘‘इस तरह, हमारे पास कभी भी सरलीकृत GST नहीं होगा।’’देबरॉय ने कहा कि GST प्रावधानों का ‘बहुत दुरुपयोग’ हो रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
देश में GST को लागू हुए 6 साल से ज्यादा हो गए हैं और शुरुआत से ही इसकी सफलता और असफलता को लेकर कई तरह की बातें कही जा चुकी हैं. लेकिन सरकार में बैठे किसी व्यक्ति ने पहली बार GST के बारे में कहा है कि इसकी वजह से सरकार को घाटा हो रहा है.