इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख अब करीब है. अगर आपने अब तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो तुरंत कर लें. डेडलाइन के बाद ITR दाखिल करने वालों को फाइन देना पड़ता है. अगर आप टैक्स भुगतान करने की कैटेगरी में नहीं आते हैं फिर भी आपको आयकर रिटर्न दाखिल जरूर करना चाहिए. आईटीआर दाखिल करते समय आपको अपनी आय और स्रोत की हर छोटी से छोटी जानकारी देना अनिवार्य है. वरना इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) आपको नोटिस भेज सकता है.
निवेश से मिलने वाला रिटर्न
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय हर उस निवेश का जिक्र जरूर करें, जहां से आपको रिटर्न मिल रहा है. जैसे- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में किए गए निवेश पर मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्स फ्री होता है. लेकिन आपको अपने आईटीआर फॉर्म में इसके बारे में बताना होगा.
बच्चों के खाते की जानकारी
अगर आपने अपने बच्चों के नाम पर कोई खाता खोला है या कोई निवेश किया है, तो इसकी जानकारी भी आईटीआर में जरूर भरें. दरअसल, नाबालिगों के खाते में माता-पिता अभिभावक के तौर पर जुड़े होते हैं. ऐसे में अगर आपके बच्चे के नाम पर किए गए निवेश से ब्याज या कोई भी इनकम हो रही है तो ये आपके खाते में जुड़ जाती है. इसलिए आपको आयकर रिटर्न भरते समय इसकी जानकारी देनी होगी. अपने नाबालिग बच्चे की इनकम के जोड़ने पर 1,500 रुपए का टैक्स डिडक्शन पर आप क्लेम कर सकते हैं.
सेविंग बैंक अकाउंट का रिटर्न
टैक्सपेयर्स को सेविंग बैंक अकाउंट से मिलने वाले ब्याज की कमाई भी अपने आईटीआर फॉर्म में दिखाना होगा. रिटर्न में इसे दिखाने के बाद आपको सेक्शन 80TTA के तहत सालाना 10,000 रुपए तक की इंटरेस्ट इनकम को डिडक्शन के तौर पर क्लेम कर सकते हैं. अगर आप ये जानकारी छुपाते हैं तो आपको भारी पड़ सकता है.
विदेशी निवेश की जानकारी
अगर आप विदेश में निवेश करते हैं, जो डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स या फॉरेन फंड्स या हाउस प्रॉपर्टी आदि किसी भी रूप में हो, तो आपको इसकी जानकारी अपने फॉर्म में देना अनिवार्य है. साथ ही होल्डिंग्स से होने वाली कमाई को भी स्पष्ट रूप से दिखाना होगा. आयकर विभाग ने इसके लिए ट्वीट कर बताया है कि विदेश में किए गए निवेश या उससे होने वाली आय को छुपाना ‘काला धन’ कानून के तहत माना जाएगा. इसके लिए आपको 10 लाख तक जुर्माना देना पड़ सकता है.
ब्याज से होने वाली आय
एफडी और बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज से होने वाली कमाई को Accrued interest यानि उपार्जित ब्याज कहते हैं. इसे इस तरह समझिए बैंक एफडी पर परिपक्वता अवधि पर पहले से तय ब्याज मिलता है. बैंक एफडी पर अगर एक साल में 40 हजार रुपए से ज्यादा का ब्याज मिलता है, तब बैंक इस पर 10 फीसद की दर से टीडीएस काटते हैं. अगर आप आईटीआर में इसकी जानकारी नहीं देते हैं, लेकिन फॉर्म 26एएस में एफडी ब्याज पर TDS की जानकारी होती है, तब इस मिसमैचिंग पर आईटी डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है.