आयकर रिटर्न यानी इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरने का समय चल रहा है. ऐसे में कमाई दिखाने और उस पर टैक्स (Tax) भरने का वक्त है. लोगों की कई तरीके से आमदनी होती है. कुछ लोग देश में रहकर कमाते हैं. कुछ विदेश में नौकरी करते हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जो कुछ समय भारत में नौकरी करते हैं और अच्छा ऑफर मिलने पर विदेश चले जाते हैं. उनके सामने समस्या होती है कि उन्हें इनकम टैक्स भरना है या नहीं, अगर भरना है तो कैसे भरना है, किन बातों का ध्यान रखना है?
इनकम टैक्स के मामले में रेजिडेंशियल स्टेटस अहम है. किसी व्यक्ति पर टैक्स लगाने से पहले उसका रेजिडेंशियल स्टेटस देखा जाता है. कोई व्यक्ति भारत में कितने दिन रहता है, इससे उसके रेजिडेंशियल स्टेटस का पता लगता है.
रेजिडेंट होने के लिए कुछ शर्तें हैं. व्यक्ति वित्त वर्ष के दौरान 182 दिन या उससे ज्यादा भारत में रहा हो. व्यक्ति वित्त वर्ष से पहले के 4 सालों में 365 या अधिक दिन और उस वित्त वर्ष में कम से कम 60 दिन के लिए भारत में रहा हो. अगर आप भारत के नागरिक हैं और उस वित्त वर्ष में भारत आते हैं. ऐसे में विदेशी सोर्स से कमाई को छोड़कर आमदनी 15 लाख से ज्यादा होगी तो 120 दिन भारत में रहने पर स्टेटस रेजिडेंट हो जाएगा.
रेजिडेंट टैक्सपेयर की ग्लोबल इनकम टैक्स के दायरे में आती है. यानी देश और विदेश दोनों जगह हुई कमाई भारत में कर योग्य होगी. ऐसे व्यक्ति पर भारत में नौकरी करने वाले व्यक्ति के समान ही आयकर दरें लागू होंगी…
विदेश में हुई इनकम को आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म में शेड्यूल ‘फॉरेन सोर्स इनकम’ यानी शेड्यूल FSI में दिखाना होता है. फॉरेन करेंसी को रुपए में कन्वर्ट करके कमाई भरनी होगी. साथ में कमाई के सोर्स की जानकारी देनी पड़ेगी. कमाई पर किसी तरह का टैक्स कटा है तो उसको रिटर्न में दिखाकर टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं. डबल टैक्सेशन अवॉइडंस एग्रीमेंट (DTAA) का फायदा लेकर आप दोहरे टैक्स से बच सकते हैं. अगर आप जिस देश में नौकरी कर रहे हैं उसके साथ भारत का DTAA नहीं है तो सेक्शन 91 के तहत राहत ली जा सकती है.
भारत में मिली सैलरी और उस पर कटे टैक्स यानी TDS की जानकारी फॉर्म-16 से मिल जाएगी. फॉर्म-16 नहीं होने पर सैलरी स्लिप का इस्तेमाल कर सकते हैं. आईटीआर फॉर्म में पहले से भरे डिटेल का फॉर्म-16, फॉर्म 26AS और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) से मिलान करना होता है.
देश में मिले डिडक्शन और एग्जप्म्शन के मामले में टैक्स छूट ले सकते हैं. अगर आपने 80C या 80D के तहत कोई निवेश किया है तो टैक्स छूट ले सकते हैं. विदेश में मिली छूट या कटौती का इस्तेमाल आप भारत में नहीं कर पाएंगे. इन डिटेल्स को भरने के बाद आपकी नेट टैक्सेबल इनकम और उस पर टैक्स का पता चल जाएगा.
टैक्स एक्सपर्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद रावल कहते हैं कि विदेश में कमाई होने पर आपको आयकर रिटर्न में शेड्यूल FSI और FA में जानकारी देनी होती है. विदेश में कोई संपत्ति या बैंक अकाउंट होने पर इसकी ठीक-ठीक जानकारी आयकर विभाग को जरूर दें. ऐसा नहीं करने पर आपको डिस्क्लोजर का नोटिस आ सकता है. कमाई नहीं दिखाने को कर चोरी माना जा सकता है. ऐसे में 10 लाख रुपए सालाना का जुर्माना और 7 साल तक की जेल है.
अगर आप 182 दिन से कम भारत में रहते हैं तो आमतौर पर नॉन-रेजिडेंट या रेजिडेंट बट नॉट ऑर्डिनरली रेजिडेंट (RNOR) माना जाता है. ऐसे में आपकी भारत में हुई आय पर टैक्स लगेगा, लेकिन फॉरेन इनकम पर भारत में टैक्स नहीं लगेगा.