भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की ओर से आय असमानता और करदाताओं के डेटा पर जारी रिपोर्ट में कई दिलचस्प बातें सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं ने सबसे ज्यादा टैक्स चुकाया है. ऐसे करदाताओं की ओर से दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में 295 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2014-22 के दौरान व्यक्तिगत आय असमानता में भी काफी गिरावट देखने को मिली क्योंकि वर्ष 2014-21 के दौरान व्यक्ति की औसत आय 3.1 लाख रुपए से बढ़कर 11.6 लाख रुपए हो गई है.
इसी अवधि में 10 लाख रुपए से 25 लाख रुपए के बीच आय वाले लोगों की ओर से दाखिल किए गए आईटीआर में 291 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वहीं आयकर दाखिल करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या असेसमेंट ईयर 2022 में 70 मिलियन से बढ़कर 2023 में 74 मिलियन हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2023 तक 82 मिलियन आईटीआर दाखिल किए गए हैं और मार्च 2024 तक शेष वित्तीय वर्ष में 5-8 मिलियन रिटर्न दाखिल किए जाने की उम्मीद है, जिससे कुल संख्या 85 मिलियन से अधिक हो सकती है.
आय हिस्सेदारी में यूपी ने लगाई छलांग
आमतौर पर महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और कर्नाटक जैसे राज्य, जो आयकर आधार में अपना दबदबा रखते हैं. मगर अब इन प्रमुख राज्यों की समग्र कर आधार में हिस्सेदारी लगातार घट रही है, जबकि उत्तर प्रदेश के इनकम टैक्स बेस में इजाफा हुआ है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा का भी इनकम टैक्स बेस बढ़ा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केरल, तमिलनाडु, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में व्यक्तिगत कर दाखिल करने वालों में महिला टैक्सपेयर्स की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है. इन राज्यों में महिला कर दाखिल करने वालों की हिस्सेदारी ज्यादा है.