1 अप्रैल से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में देनी होंगी ये जरूरी जानकारी, छिपाएंगे तो खैर नहीं..

ITR: नए वित्त वर्ष में आपको अपनी टैक्स रिटर्न (ITR) में कई तरह की जानकारियां जरूर देनी होंगी. ऐसा नहीं करने पर आपको मुसीबत उठानी पड़ सकती है.

1 अप्रैल से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में देनी होंगी ये जरूरी जानकारी, छिपाएंगे तो खैर नहीं..

1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष (Financial Year) शुरू हो रहा है. नए वित्त वर्ष में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) से जुड़ी कई अहम बदलाव होंगे. इसलिए आपको नए सिरे से प्लानिंग करने की जरूरत है. नए वित्त वर्ष में आपको अपनी टैक्स रिटर्न (ITR) में कई तरह की जानकारियां जरूर देनी होंगी. ऐसा नहीं करने पर आपको मुसीबत उठानी पड़ सकती है. साथ ही जुर्माना भी देना होगा. खासकर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले या फिर डिविडेंट से कमाई करने वालों को इसका खास ख्याल रखना होगा. 1 अप्रैल के बाद आप कोई भी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नहीं छुपा पाएंगे.

छिपाने की कोशिश न करें
नए वित्त वर्ष में शेयर ट्रेडिंग, म्यूचुअल फंड्स ट्रांजैक्शन, डिविडेंड इनकम, पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट और NBFC डिपॉजिट की पूरी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को जानकारी देनी होगी. यह सभी जानकारियां आपके फॉर्म 26AS में दिखाई देंगी. अब तक टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने के लिए शेयर ट्रेडिंग या म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शन की जानकारी नहीं देते थे. लेकिन, अब आयकर विभाग सीधे इसकी जानकारी ब्रोकरेज हाउस, AMC या पोस्ट ऑफिस से लेगा. इसलिए जरूरी है कि आप अपने निवेश की जानकारी किसी भी तरह छिपाने की कोशिश न करें.

बजट में हुआ था ऐलान
अब से आपका इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म पहले से भरा होगा. इसमें तमाम जानकारियां शामिल होंगी. बजट 2021 में इसका ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इन जानकारियों में शेयरों से कैपिटल गेन, डिविडेंड इनकम, पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट और बैंक से मिलने वाले ब्याज की जानकारी शामिल होंगी. इससे ITR फाइलिंग की प्रक्रिया आसान होगी. फिलहाल, टैक्सपेयर्स को सिर्फ नाम, पता, पैन, बैंक डीटेल, टैक्स पेमेंट और TDS की जानकारी ही फॉर्म में प्री-फिल्ड मिलती थी.

CBDT ने जारी किया था सर्कुलर
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 12 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था. बचत योजनाओं में डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज को विशेष फंड ट्रांसफर (SFT) में शामिल किया गया है. CBDT के मुताबिक, बैंक, पोस्ट ऑफिस, म्यूचुअल फंड हाउस, रजिस्ट्रार ऑफिस, बॉन्ड कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को टैक्सपेयर्स की कमाई से जुड़ी सभी जानकारियां आयकर विभाग को सौंपनी होगी. इस तरह के सभी लेनदेन इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 114E के तहत SFT में आते हैं. मतलब अगर किसी निवेशक ने म्यूचुअल फंड से कमाई की है तो फंड हाउस उसकी जानकारी आयकर विभाग को देगा. ऐसे ही बैंक और पोस्ट ऑफिस भी बचत योजनाओं से मिले ब्याज की जानकारी शेयर करेगा.

टैक्स चोरी रोकने के लिए उठाया कदम
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से टैक्स चोरी रुकेगी. आयकर विभाग के पास पहले से आपकी कमाई का ब्यौरा होगा. ऐसे में टैक्सपेयर चाहकर भी कोई डीटेल नहीं छुपाएगा. इससे रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी इजाफा होने की उम्मीद है. नोटबंदी के बाद से रिटर्न भरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन उस अनुपात में टैक्स कलेक्शन नहीं बढ़ा है. इस फैसले से टैक्स कलेक्शन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.

अगर छिपाई कोई जानकारी तो लगेगा मोटा जुर्माना
टैक्सपेयर्स को अपनी सैलरी, ब्याज से हुई आय, डिविडेंड, म्यूचुअल फंड्स और शेयरों से हुए कैपिटल गेंस को अपने ITR में दिखाना होगा. आपकी एनुअल इंफॉर्मेंशन स्टेटमेंट (Annual information statement (AIS) में पूरा आंकड़ा होगा, जिसे आयकर विभाग ट्रेस कर सकेगा. अगर किसी भी तरह की जानकारी छुपाने की कोशिश की गई तो इस पर टैक्स विभाग आपसे मोटा जुर्माना वसूल सकता है.

Published - March 29, 2021, 10:09 IST