आयकर विभाग अब उन लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है जो लोग ज्यादा खर्च करते हैं. मसलन जो बहुत विदेश यात्रा पर जाते हैं, ज्यादा बिजली बिल भरते हैं, डिजाइनर कपड़े खरीदते हैं और फर्टिलिटी क्लीनिक वगैरह की सेवाओं का इस्तेमाल कर करते हैं तो ऐसे लोगों पर आयकर विभाग नजर रखने जा रहा है. ऐसा करने के पीछे उद्देश्य कर आधार को बढ़ाना है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड वित्त वर्ष 2024 में कर चुकाने वालों की संख्या 10 फीसद बढ़ाकर करीब 8.6 करोड़ तक ले जाना चाहता है. वित्त वर्ष 2023 में कुल आयकर रिटर्न बढ़कर 7.78 करोड़ हो गए थे. इससे पहले वित्त वर्ष 2022 में ये संख्या 7.3 करोड़ थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर बढ़ाने के कई उपाय केंद्रीय कार्य योजना के तहत आयकर विभाग को सुझाए गए हैं. इस हफ्ते इस योजना का मसौदा मंजूरी के लिए CBDT को सौंपा जाएगा और योजना इसी महीने लागू हो जाने की उम्मीद है. योजना के अनुसार आयकर अधिनियम की धारा 139A के तहत निर्दिष्ट लेनदेन के लिए स्थायी खाता संख्या (PAN) लेने की जरूरत होती है, लेकिन ऐसा किया गया है या नहीं इस बारे में पता करने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए उन स्रोतों की पहचान करना आवश्यक है, जो नियम का उल्लंघन करते हैं. कार्ययोजना में इसके लिए बिना हस्तक्षेप के सत्यापन तंत्र का सुझाव दिया गया है.
आयकर विभाग को ऐसे व्यक्ति और परिवार पर भी नजर रखने को कहा गया है, जिनका सालाना बिजली बिल 1 लाख रुपए से ज्यादा हो. इस तरह की जानकारी डिस्कॉम से मिल सकती है. साथ ही किसी भी वित्त वर्ष में जो लोग या परिवार विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करते हैं तो उन्हें भी आयकर चुकाना होगा. ऐसे लोगों की जानकारी आव्रजन ब्यूरो से मिल सकती है.
बता दें आम बजट 2019-20 में भी ऐसा ही प्रावधान किया गया था. इसमें कहा गया था कि आपने विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपए से अधिक खर्च किए हैं तो आपको आयकर रिटर्न भरना होगा. इसी के साथ ही जिन लोगों का बिजली का बिल सालाना एक लाख रुपए से अधिक है और आपने सालभर में बैंक में एक करोड़ रुपए से अधिक जमा कराए हैं तो भी आपको आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा, भले ही आपकी कर योग्य आय पांच लाख रुपए सालाना से कम हो.
हालांकि विदेश यात्रा या बिजली बिल पर अत्यधिक खर्च करने वालों के आईटी रिटर्न भरने की नियम इससे पहले भी मौजूद था, लेकिन इसे वित्त अधिनियम 2016 के तहत वापस ले लिया गया था पर अब फिर से कवायद शुरु हुई है. कर आधार के विस्तार के लिए सरकार के इस कदम को एक्सपर्ट्स अच्छा मान रहे हैं.