सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स में बड़ी कटौती की है. इसे 8,400 रुपए प्रति टन से घटाकर 5,700 रुपए प्रति टन कर दिया गया है. यह जानकारी बुधवार की देर शाम सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेज ने एक बयान जारी कर दी. बदली हुई दरें आज यानी 16, 2024 से लागू कर दी गई हैं .
सरकार की ओर से विंडफॉल टैक्स में कई महीने से की जा रही बढ़ोतरी के बाद यह लगातार दूसरी कटौती है. हालांकि इस दौरान डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन यानी एटीएफ पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को शून्य पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया. ऐसे में घरेलू रिफाइनरों को डीजल, पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर मिल रही छूट आगे भी मिलती रहेगी. सरकार के इस फैसले से उन घरेलू कंपनियों को फायदा होगा जो डीजल-पेट्रोल व एटीएफ जैसे रिफाइंड प्रोडक्ट को विदेशों में बेचती हैं.
पहले भी की गई थी कटौती
इससे पहले 1 मई को भी सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को कम करने का ऐलान किया था. उस दौरान विंडफॉल टैक्स को 9,600 रुपए प्रति टन से घटाकर 8,400 रुपए प्रति टन कर दिया गया था. उससे पहले विंडफॉल टैक्स को लगातार बढ़ाया जा रहा था. एक महीने पहले 16 अप्रैल को विंडफॉल टैक्स को 6,800 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 9,600 रुपये प्रति टन कर दिया गया था.
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
घरेलू स्तर पर तैयार होने वाले कच्चे तेल के निर्यात पर लगने वाले टैक्स को विंडफॉल टैक्स कहा जाता है. कई प्राइवेट रिफाइनर कंपनियां ज्यादा मार्जिन कमाने के लिए डीजल, पेट्रोल और एटीएफ की घरेलू बिक्री के बजाय विदेशी बाजारों में बिक्री करती हैं. इससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है. कंपनियों के इसी मुनाफे पर भारतीय सरकार विंडफॉल टैक्स लेती है. इसे भारत में पहली बार जुलाई 2022 में वलगाया गया था. इसी तरह डीजल, पेट्रोल और विमानन ईंधन के निर्यात पर भी ड्यूटी लगाई गई थी. सरकार हर पखवाड़े इसकी समीक्षा करती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से इसे घटाने या बढ़ाने का फैसला करती है.