सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम पर लगाए गए विंडफॉल टैक्स में कटौती का ऐलान किया है. इसे 9,600 रुपए प्रति टन से घटाकर 8,400 रुपए प्रति टन कर दिया गया है. संशोधित कर दरें 1 मई यानी आज से लागू कर दी गई है. हालांकि डीजल, पेट्रोल और विमानन टरबाइन ईंधन पर जीरो टैक्स की दर को बरकरार रखा गया है. इस बात की जानकारी मंगलवार को जारी आधिकारिक सूचना में दी गई.
सरकार ने तेल कंपनियों के मुनाफे पर वसूले जाने वाले अतिरिक्त टैक्स में कटौती का ये फैसला पिछले दो सप्ताह में दर्ज औसत तेल की कीमतों के आधार पर किया है. बता दें विंडफॉल् टैक्स एक ऐसा एडिशनल टैक्स है जो सरकार किसी खास उद्योग या कंपनियों की ओर से अर्जित उच्च मुनाफे पर लगाया जाता है. यह आम तौर पर उन क्षेत्रों पर लागू होता है जो कमोडिटी की कीमतों में बदलाव या नियामक बदलाव के कारण मुनाफे में अचानक वृद्धि की वजह से प्रभावित होते हैं.
तेल कंपनियों के मुनाफे पर लगता है अतिरिक्त टैक्स
विंडफॉल टैक्स लगाने का मकसद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नियंत्रण रखना है. सरकार इसके जरिए तेल कंपनियों के मुनाफे पर वन टाइम टैक्स लगाती है. जिसका उपयोग सामाजिक सुधारों या आर्थिक असंतुलन को कम करने के लिए किया जाता है. पेट्रोलियम इंडस्ट्री में जब तेल की कीमतें काफी बढ़ जाती हैं, तो विंडफॉल टैक्स लगाया जा सकता है. केंद्र सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई से इस टैक्स को लागू किया था.
क्या तेल की कीमतें होंगी कम?
विंडफॉल टैक्स में कमी से संभावित रूप से तेल की कीमतों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है. ये निर्यात किए जाने वाले पेट्रोल-डीजल के साथ एटीएफ और घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर लगता है. घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम पर इसका कोई असर नहीं होता है. मगर तेल का निर्यात करने वाली कंपनियां जैसे- ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, रिलायंस इंडस्ट्रीज आदि पर इसका असर पड़ता है.