आयकर विभाग जल्द ही कई टैक्सपेयर्स को नोटिस भेज सकता है. यह नोटिस ऐसे व्यक्तियों को भेजा जाएगा जिनकी आय पर टीडीएस काटा गया है लेकिन फिर भी उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष नितिन गुप्ता के मुताबिक ऐसा करने वाले करीब 1.5 करोड़ टैक्सपेयर्स हैं.
गुप्ता के मुताबिक विभाग केवल उन्हीं टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजेगा जिनके बारे में उसके पास निश्चित जानकारी है. उन्होंने कहा कि ऐसे नोटिसों की संख्या हजारों में है.
आईटी विभाग के पास बड़ी मात्रा में डेटा है जिससे वो मिसमैच जानकारी का पता लगा पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर टैक्सपेयर्स से कोई डिटेल भरने से रह गई है तो वे अपने रिटर्न को अपडेट करने के लिए उन तक पहुंच रहे हैं. विभाग ने ऐसे 51 लाख अपडेटेड रिटर्न से अब तक 4,600 करोड़ रुपए इकट्ठा किए हैं.
गुप्ता ने कहा, “हमारा ध्यान रिफंड के समय को कम करने से लेकर अपडेटेड रिटर्न या बड़े टैक्स विवाद को सुलझाने पर है जिससे करदाता को मिलने वाली सेवाओं में सुधार हो सके. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि समझाया कि सीबीडीटी ने कर्नाटक के मैसूर में एक मांग प्रबंधन केंद्र स्थापित किया है. यह 1 करोड़ रुपए से ऊपर के टैक्स विवादों को हल करेगा. उन्होंने कहा कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, मूल्यांकन अधिकारियों और टैक्सपेयर्स को एक साथ रखा गया है जो जो दोनों पक्षों से मूल्यांकन पर समझौते को हल करने और पहुंचने का प्रयास करते हैं.
मांग प्रबंधन पहले खुद को कर्नाटक विवादों तक ही सीमित रखता था. लेकिन अब वह पूरे भारत से मामले उठा रहा है. 2022 में अपनी स्थापना के बाद से, केंद्र ऐसे 250,000 मामलों को हल कर चुका है. बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 25,000 रुपए तक की पुरानी बकाया टैक्स मांगों को खत्म करने और वापस लेने की घोषणा की थी. इसे लागू करने के लिए सीबीडीटी वित्त वर्ष 2015 तक 25,000 रुपए तक की बकाया छोटी टैक्स मांगों को वापस करने के लिए एक सर्कुलर जारी करेगा.
गुप्ता ने कहा कि अब तक 60 फीसद टैक्सपेयर्स ने फरवरी 2022 के बजट में घोषित नई टैक्स व्यवस्था को अपना लिया है. उन्होंने कहा कि विभाग किसी भी दर में बदलाव शुरू करने से पहले कुछ समय तक प्रतिक्रिया के साथ-साथ फाइलिंग पैटर्न का मूल्यांकन करना चाहता है. उन्होंने कहा कि आयकर रिटर्न में जो अतिरिक्त खुलासे मांगे जा रहे हैं, वे ज्यादातर लोक लेखा समिति या भारत के चुनाव आयोग की सिफारिशों से आते हैं.