भारत में अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीबों की हालत पहले से खराब हो गई है. इस बात की पुष्टि टैक्स फाइलिंग के आंकड़ों से होती है. रिपोर्ट के मुताबिक उच्च आय वाले लोगों की ओर से टैक्स फाइलिंग में वृद्धि देखी गई है. 10 लाख रुपए से अधिक आय वालों की आयकर दाखिल करने वालों की संख्या साल 2012 से 2021 के बीच 20% बढ़ी है, जबकि 5 लाख रुपए से कम आय वाले लोगों की संख्या महज 4.5% है. अमीरों की संख्या बढ़ने से कार निर्माता, बीमाकर्ता, म्यूचुअल फंड, ज्वैलर्स, मल्टीप्लेक्स और अस्पतालों को फायदा हो सकता है.
डेटा के अनुसार 5 लाख रुपए से ज्यादा कमाने वाले करदाताओं की संख्या 2012 में 5.6 मिलियन थी, जो साल 2021 तक बढ़कर 29 मिलियन हो गई है. वहीं 10 लाख रुपए से अधिक आय वाले लोगों की संख्या भी 1.6 मिलियन से बढ़कर 8 मिलियन हो गई है. जबकि 20 लाख रुपए प्रति वर्ष की आय वालों के टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या वित्त वर्ष 2019 की तुलना में 25% बढ़ी है. 10-20 लाख रुपए के ब्रैकेट में भी 24% की वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन 5 लाख रुपए से कम कमाने वालों की संख्या में 20% की गिरावट आई है.
कारों की बिक्री में आई तेजी
आंकड़ों के मुताबिक देश में अधिक कमाने वालों की संख्या में इजाफा होने से लग्जरी चीजों की खरीदारी में भी तेजी आई है. यही वजह है कि कारों की बिक्री दोपहिया वाहनों की तुलना में ज्यादा बढ़ी है. दोपहिया के मुकाबले इसमें ज्यादा पैसा लगता है, इसके बावजूद लोगों ने चार पहिया वाहन की खरीदारी करना बेहतर समझा. यही वजह है कि कार की बिक्री साल 2012 और 2023 के बीच 53% बढ़ी है. जबकि मोटरसाइकिल और स्कूटर की बिक्री 22% बढ़ी, जो हीरो मोटोकॉर्प जैसे शेयरों के खराब प्रदर्शन को दर्शाती है.