आयकर विभाग टैक्स चोरी पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा अभियान चलाने जा रहा है. विभाग की नजर खासकर उन मध्यम वर्ग और अमीर लोगों पर पड़ी है जो बड़े खर्च तो करते हैं लेकिन आयकर रिटर्न में इसे दिखाते नहीं.
आयकर विभाग अब आईवीएफ (IVF) क्लीनिक में इलाज के लिए भुगतान, प्रवासी भारतीय (NRI) कोटा के तहत मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन, अस्पतालों के बिल भुगतान, होटल में ठहरने और बैंक्वेट हॉल में पार्टी के लिए भुगतान, डिजाइनर कपड़ों, घड़ियों और लग्जरी ब्रैंड की खरीद करने वालों पर नजर रखेगा. इसका असर बड़ी संख्या में मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग पर भी पड़ेगा. असल में आयकर विभाग जिस हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की बात कर रहा है वह महज 2 लाख रुपए से ऊपर की है और ऐसे खर्च बहुत लोग करते हैं.
क्यों ऐसा कर रही सरकार?
इनकम टैक्स फाइलिंग में अनुपालन को बढ़ाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने यह फैसला किया है. ज्यादातर लोग अपनी इनकम कम दिखाते हैं और लग्जरी पर खर्च करने के बाद भी उसकी जानकारी नहीं देते. नियमों के मुताबिक 2 लाख रुपए से ऊपर के लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देनी जरूरी है.
सूत्रों के मुताबिक आयकर अधिकारियों को जो प्लान भेजा गया है उसमें यह बताया गया है कि 2 लाख रुपए से ऊपर के लेनदेन की जानकारी देने के नियम का बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया जा रहा है. इसके अलावा ऐसे लेनदेन के लिए पैन (PAN) बताना भी जरूरी है, लेकिन इस नियम का भी पालन कम ही हो रहा है. कई मामलों में आयकर विभाग ने यह पाया कि लग्जरी गुड्स या वॉच स्टोर में बड़ी राशि के लेनदेन की जानकारी विभाग से छुपाई गई है.
कैसे चलेगा जांच अभियान?
आयकर विभाग ने पाया है कि इस तरह के लेनदेन और अमीर लोगों के रिटर्न फाइलिंग में एकरूपता नहीं दिखती, इसलिए इस पर विभाग की नजर सख्त हुई है. अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे इसकी पड़ताल करने का अभियान इस तरह से चलाएं कि किसी को बेवजह कोई परेशानी न हो. यह देखा जाएगा कि लोग जो खर्च कर रहे हैं, वह उनके आयकर रिटर्न से मेल खाता है या नहीं.