अगर आप टैक्सपेयर हैं और इंक्वायरी नोटिस (Inquiry Notice) मिलने के बाद भी इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल नहीं करता है तो उसका मामला स्क्रूटनी यानी जांच-पड़ताल के लिए उठाया जाएगा. यह नोटिस बैंक की ब्याज दर या प्रॉपर्टी बेचकर हासिल हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन या लॉस जैसी खास जानकारी से जुड़ी अतिरिक्त प्रारंभिक जानकारी मांगने के लिए भी जारी किया जाता है.
सालाना जारी होते हैं दिशानिर्देश
यह गाइडेंस सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स की तरफ से हाल ही में जारी दिशानिर्देशों के एक कॉम्प्रहेंसिव सेट का हिस्सा है. ये दिशानिर्देश सालाना जारी किए जाते हैं. यह चालू वित्त वर्ष के दौरान सर्वे के मामलों, खोज और जब्ती मामलों, टैक्स चोरी के मामलों और ऐसे मामलों को कवर करते हैं जहां सेक्शन 142(1) के तहत पूछताछ नोटिस के जवाब में कोई इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है.
रजिस्ट्रेशन कैंसिल के मामले शामिल
इसमें अलग-अलग सेक्शन के तहत रजिस्ट्रेशन न होने या रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के मामले भी शामिल हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा स्थिति की तुलना में अनिवार्य जांच के मानदंडों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. वित्त वर्ष 2024 के दौरान दाखिल किए गए सभी IT रिटर्न में नोटिस जारी करने की लिमिट 30 जून, 2024 होगी.