अगर आप रिटायर हो रहे हैं तो सावधानी से करें टैक्स प्लानिंग, इन टिप्स से दूर होगी आपकी मुश्किल

रिटायरमेंट फंड बेहद महत्वपूर्ण होता है और इसका इस्तेमाल समझबूझ के साथ करना चाहिए. यहां हम इससे जुड़े टैक्स प्लानिंग के तरीके बता रहे हैं.

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Image: Pixabay, बैंक को अपनी रीपेमेंट क्षमता के बारे में विश्वास दिलाने के लिए एक सह-उधारकर्ता को जोड़ना एक स्मार्ट तरीका है.

Image: Pixabay, बैंक को अपनी रीपेमेंट क्षमता के बारे में विश्वास दिलाने के लिए एक सह-उधारकर्ता को जोड़ना एक स्मार्ट तरीका है.

रिटायरमेंट फंड बेहद महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि किसी भी शख्स को ये फंड उसकी सेवा की समाप्ति पर मिलता है. ऐसे में हरेक रुपया अहमियत रखता है और इसे हड़बड़ी में कहीं पर भी निवेश नहीं करना चाहिए.

कोलकाता के मशहूर फाइनेंशियल एडवाइजर अमिताभ गुहा सरकार कुछ ऐसी सावधानियों का जिक्र करते हैं जिनका पालन हर किसी को रिटायरमेंट के बाद टैक्स प्लानिंग के लिहाज से करना चाहिए.

गिफ्ट कीजिए

इसका मकसद ये है कि आप इनकम टैक्स के तहत मिलने वाले डिडक्शंस का पूरा इस्तेमाल कर पाएं और अपनी टैक्सेबल इनकम को कम कर सकें.

गुहा सरकार कहते हैं कि टैक्स लाइबिलिटी घटाने के लिए आप अपने फंड का एक बड़ा हिस्सा अपने ऐसे बेटे, बेटी या पेरेंट्स को दे सकते हैं जो या तो टैक्स के दायरे में नहीं आते या फिर वे ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में नहीं हैं.

सरकार कहते हैं, “इस तरह के मामलों में आपको गिफ्ट वाली रकम पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. जिसे पैसे मिलते हैं उसे भी या तो कोई टैक्स नहीं देना पड़ता या फिर काफी कम रेट पर टैक्स चुकाना होता है.”

डेट फंड्स

गुहा सरकार ये भी कहते हैं कि ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आने वाले रिटायर हो रहे किसी भी शख्स को अपने फंड का एक हिस्सा डेट म्यूचुअल फंड में लगाने पर भी विचार करना चाहिए. टैक्स के लिहाज से ये भी काफी बेहतर होते हैं.

वे कहते हैं, “मौजूदा माहौल में आप इन स्कीमों से 7.5 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. अगर ये निवेश कम से कम तीन साल के लिए किए जाते हैं और आप यूनिट्स को रिडीम करते हैं तो आपकी टैक्स लाइबिलिटी काफी कम हो जाएगी. इसमें आपको IT एक्ट के तहत इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता है.”

इंडेक्सेशन बेनेफिट्स

इंडेक्सेशन बेनेफिट डेट फंड के मामले में लागू होते हैं, इक्विटी फंड के लिए इनका फायदा नहीं मिलता है.

इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को कम कर सकते हैं और इससे आपकी टैक्सेबल इनकम भी घट जाएगी. बल्कि, कुछ इनवेस्टर्स FD की बजाय डेट फंड्स को इंडेक्सेशन बेनेफिट के लिए ही चुनते हैं.

30% ब्रैकेट वाले क्या करें?

जो लोग 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं उनके लिए गुहा सरकार एक अलग रास्ता बताते हैं.

वे कहते हैं, “अगर आप रिटायरमेंट के बाद भी 30 फीसदी ब्रैकेट के तहत आते हैं तो 6 फीसदी ब्याज वाले बैंक Fixed Deposit से आपकी वास्तविक आमदनी घटकर 4.12 फीसदी ही रह जाती है. हेल्थ और एजूकेशन सेस को मिलाकर कुल टैक्स 31.2 फीसदी बैठता है.”

मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर के मुताबिक, अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये सालाना के दायरे में है तो आपको कोई टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है.

वे कहते हैं, “अगर आपकी इनकम 5 लाख रुपये से ऊपर है, या मान लीजिए 7.5 लाख रुपये है तो आप न्यू पेंशन सिस्टम और कुछ दूसरी स्कीमों में 50,000 रुपये निवेश करके आप सेक्शन 80C का पूरा फायदा उठा सकते हैं और अपनी आमदनी को 5 लाख रुपये से नीचे ला सकते हैं.”

Published - May 14, 2021, 04:35 IST