मयंक अपने मकान मालिक को समय से किराया चुकाते हैं. आयकर में छूट के लिए वह एचआरए (HRA) क्लेम करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने मकान मालिक से पैन कार्ड मांगा तो उन्होंने साफ कह दिया कि मेरे पास नहीं है. अगर कोई दिक्कत हो तो दूसरा घर ढूंढ लो. यह सुनकर मयंक परेशान है.
मयंक की तरह ही लाखों नौकरीपेशा लोग जो अपना घर छोड़कर नौकरी के लिए दूसरे शहर में किराए पर रहते हैं. वह आयकर कानून के तहत किराए में दिए पैसों पर टैक्स छूट ले सकते हैं. लेकिन कुछ शर्तों के साथ. जब आप एचआरए क्लेम करते हैं तो कई बार मकान मालिक के पास पैन नहीं होता तो कई बार होने के बाद भी पैन नंबर देने से मना कर देता है. मकान मालिक के पास पैन कार्ड नहीं है तो भी क्या एचआरए क्लेम किया जा सकता है. आइए जानते हैं?
कब मिलती है छूट? हाउस रेंट अलाउंस यानी HRA क्लेम करने की शर्त यह है कि आपको इम्प्लॉयर यानी अपनी कंपनी से एचआरए मिलना चाहिए. मतलब एचआरए आपकी सैलरी का हिस्सा होना चाहिए. इसके अलावा आप जिस घर में रह रहे हैं, वह किराए का होना चाहिए, अपना नहीं.
HRA छूट का कैलकुलेशन तीन चीजों पर निर्भर करती है. 1) HRA के रूप में मिली वास्तविक रकम 2) मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी+DA का 50 फीसदी और नॉन-मेट्रो शहर में बेसिक+DA का 40 फीसदी 3) किराए की वास्तविक रकम से बेसिक सैलरी+डीए का 10 फीसदी घटाने के बाद आने वाली रकम
तीनों में जो कम होगा उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी. एचआरए की रकम को सैलरी से हुई इनकम से घटा दिया जाता है. इस तरह टैक्स बचाने में मदद मिलती है. एचआरए पर टैक्स छूट के लिए आपको किराए की रसीद और रेंट एग्रीमेंट अपनी कंपनी को देना होता है. अगर सालाना किराया एक लाख रुपए यानी एक महीने का किराया 8,333 रुपए से ज्यादा है. तो केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के सर्कुलर के मुताबिक, कर्मचारी को मकान मालिक का पैन नंबर देना अनिवार्य है. अगर मकान मालिक के पास पैन नहीं है तो भी कर्मचारी एचआरए क्लेम कर सकता है.
ऐसे में कर्मचारी के पास दो विकल्प हैं. पहला यह कि उसे कंपनी में डिक्लेरेशन जमा करना होगा. यह डिक्लेरेशन मकान मालिक की ओर से किया जाएगा. इसमें मकान मालिक का नाम, उम्र, समेत अन्य डिटेल देनी होती हैं. साथ ही इसमें मकान मालिक पैन कार्ड नहीं होने की घोषणा करता है जिसके बाद कंपनी इसे स्वीकार करती है.
इस बात के भी आसार हैं कि कंपनी डिक्लेरेशन को ना माने. ऐसे में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय कर्मचारी HRA क्लेम कर सकता है… हालांकि, इस केस में कर्मचारी को स्क्रूटनी का नोटिस आ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी की ओर से फॉर्म-26AS में रिपोर्ट की गई इनकम और कर्मचारी की ओर से ITR में दिखाई गई इनकम में अंतर नजर आएगा… इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस अंतर के बारे में पूछ सकता है… उस समय कर्मचारी के पास मकान मालिक के डिक्लेरेशन के साथ किराए की रसीद और रेंट एग्रीमेंट होना चाहिए.
कई बार मकान मालिक पैन नंबर देने से मना कर देते हैं या फिर कैश में किराया लेते हैं… ऐसे में रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट मदद कर सकता है… रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन के लिए मकान मालिक और किराएदार का नाम, पता, एग्रीमेंट की अवधि, किराए की रकम, पैन कार्ड समेत ID प्रूफ की जरूरत पड़ती है… HRA क्लेम करने में रेंट एग्रीमेंट का इस्तेमाल करते ही आयकर विभाग के पास मकान मालिक के पैन की जानकारी पहुंच जाएगी… इसके अलावा कर्मचारी को किराए का पेमेंट कैश के बजाए चेक, नेट बैंकिंग या UPI से करना चाहिए…
एचआरए क्लेम करने के लिए रेंट एग्रीमेंट और किराए की रसीद जरूरी है… प्रॉपर रेंट एग्रीमेंट और बैंकिंग चैनल के जरिए पेमेंट करने से कर्मचारी को HRA क्लेम करने में सहूलियत होगी… साथ ही रेंट से होने वाली ये कमाई मकान मालिक के एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में दिखेगी… ऐसे में मकान मालिक को टैक्स भरना होगा… वरना इसे टैक्स चोरी माना जा सकता है…
मनी9 की सलाह मयंक की तरह अगर आप भी HRA क्लेम करना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें… वैलिड रेंट एग्रीमेंट रखें… हर महीने मकान मालिक से किराए की रसीद लें… महीने का किराया 3,000 रुपए तक होने पर रसीद की जरूरत नहीं है… किराया अगर कैश में है और 5,000 से ज्यादा है तो रेवेन्यू स्टाम्प जरूरी है… किराए का पेमेंट कैश के बजाए चेक या ऑनलाइन माध्यम से करें… सालाना किराया एक लाख से ज्यादा है तो किराए की रसीद के अलावा मकान मालिक से पैन या डिक्लेरेशन की बात कर लें… HRA उतना ही क्लेम करें जितना आप रेंट भरते हैं… ज्यादा टैक्स छूट का चक्कर नोटिस को बुलावा दे सकता है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।