सुभान के एचआर विभाग से फ्लैक्सी पेरोलPayroll) का विकल्प चुनने के लिए मेल आया है. ये फ्लैक्सी पे (Pay) क्या है? और इसका क्या फायदा है, इस बारे उसे कुछ नहीं पता. अगर आप भी फ्लैक्सी पे के बारे में नहीं जानते हैं तो आइए हम बताते हैं. दरअसल, कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को वित्त वर्ष की शुरुआत में कॉस्ट टू कंपनी (CTC) में बदलाव करने की इजाजत देती हैं. सीटीसी असल सैलरी न होकर कई चीजों से मिलकर बनती है. जैसे बेसिक पे, एचआरए, स्पेशल अलाउंस, वैरिएबल पे, एम्प्लॉयर ईपीएफ कंट्रीब्यूशन. स्पेशल अलाउंस में आमतौर पर फ्यूल और ट्रैवल रिम्बर्समेंट, एलटीए, फोन बिल रिम्बर्समेंट जैसे चीजें आती हैं. ये चीजें कर्मचारियों को सुविधा के रूप में मिलती हैं. लेकिन टैक्स भी बचाती हैं. इन खर्चों को आय से घटाने के बाद कर की गणना की जाती है. जिससे टैक्सेबल इनकम और उस पर टैक्स कम बनता है. अब उन सुविधाओं पर आते हैं, जिन पर टैक्स बच सकता है-
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) अगर आप नौकरी के दौरान किराए पर रहते हैं तो टैक्स छूट ले सकते हैं. एचआरए क्लेम करने की कंडीशन यह है कि आपको नियोक्ता से एचआरए मिलता हो और आप जिस घर में रह रहे हैं उसका किराया भर रहे हों. छूट की कैलकुलेशन तीन चीजों पर निर्भर करती है.
1)- HRA के रूप में मिली वास्तविक रकम 2)- मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी+DA का 50 फीसदी और नॉन-मेट्रो शहर के मामले में बेसिक+DA का 40 फीसदी 3)- किराए की वास्तविक रकम से बेसिक सैलरी +DA का 10 फीसदी घटाने पर आने वाली राशि तीनों में जो कम होगा उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी.
लीव ट्रैवल अलाउंस आपके व परिवार के घूमने-फिरने के लिए कंपनी लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) देती है. यात्रा के लिए प्लेन, ट्रेन या बस की टिकट के लिए जो रकम खर्च की गई है, उस पर छूट मिलती है. यात्रा में हुए दूसरे खर्च इसके दायरे में नहीं आते हैं. चार साल के ब्लॉक में दो बार एलटीए क्लेम कर सकते हैं. विदेश यात्रा पर एलटीए का लाभ नहीं मिलेगा. एलटीए की अधिकतम रकम यात्रा पर वास्तविक खर्च या नियोक्ता से मिली रकम में जो कम है, वो होगी. उदाहरण के लिए, आपको कंपनी से LTA के रूप में 50 हजार रुपए मिलते हैं और आपका खर्च 30,000 रुपए है तो छूट 30 हजार रुपए पर मिलेगी.
इंटरनेट और फोन बिल कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा है. जिससे फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल और खर्च बढ़ गया. आयकर कानून इंटरनेट और फोन बिल जमा करने पर उतनी रकम को इनकम टैक्स से मुक्त रखने की अनुमति देता है जितने रुपए के बिल भर गए हैं या सैलरी में जो रकम इस मद में दी गई है, उसमें जो कम है. उस पर टैक्स नहीं लगेगा.
फूड कूपन आप चाय, पानी और खाने पर जरूर जाते होंगे. कंपनी आपको काम के दौरान या प्री-पेड फूड वाउचर/कूपन के जरिए फूड अलाउंस दे सकती है. इसके तहत, एक वक्त के खाने के लिए 50 रुपए टैक्स-फ्री होते हैं. इस तरह से ऐसे कूपन का इस्तेमाल कर हर महीने 2200 रुपये यानी सालाना 26,400 रुपए की सैलरी को टैक्स-फ्री बनाया जा सकता है..
फ्यूल व ट्रैवल रिम्बर्समेंट अगर आप ऑफिस के काम के लिए टैक्सी या कैब से आते-जाते हैं तो इसे रिम्बर्स कराना टैक्स-फ्री होता है. वहीं, अगर आप अपनी कार या कंपनी से मिली कार का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ईंधन व रखरखाव के खर्च के लिए मिले भुगतान को टैक्स-फ्री करा सकते हैं.
अखबार व पत्र-पत्रिकाएं बड़े-बूढ़े हमें बचपन से अखबार पढ़ने की सलाह देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अखबार टैक्स भी बचा सकते हैं… किताबें, अखबार और पत्र-पत्रिकाओं को खरीदने के लिए किए गए भुगतान भी टैक्स-फ्री होते हैं, बशर्ते उनका ऑरिजिनल बिल साथ में लगाया गया हो… बिल की रकम या सैलरी में इस मद में निर्धारित राशि में जो कम है, वह टैक्स के दायरे से बाहर रहेगा. अब तो समझ गए HR के मेल का रिप्लाई क्यों जरूरी है. इसके अलावा और भी अलाउंस हैं जिन पर टैक्स छूट मिल सकती है… अगर कंपनी आपको अलाउंस देती हैं तो इसके लिए सैलरी स्लिप देख सकते हो या फिर HR से पूछ सकते हो… टैक्स छूट के लिए किन बातों का रखें ख्याल? इस बारे में और ज्यादा जानने के लिए देखिए मनी9 का यह खास शो-
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