एजुकेशन लोन का भुगतान पढ़ाई पूरी होने के एक साल और डिग्री मिलने के छह महीने बाद शुरू होता है जो समान मासिक किस्तों (ईएमआई) के जरिए किया जाता है. कई बैंक नौकरी मिलने के छह महीने बाद से कर्ज की वसूली शुरू करते हैं. कुछ बैंक अभिभावकों को लोन लेने के तुरंत बाद ईएमआई का भुगतान करने का भी विकल्प देते हैं. इस लोन के लिए ज्यादातर संस्थान सात साल तक का समय देते हैं. एजुकेशन लोन के प्रीपेमेंट पर बैंक किसी तरह का शुल्क नहीं लेते. कोई भी व्यक्ति अपनी कमाई से ईएमआई से ज्यादा या पूरी रकम का एकमुश्त भुगतान कर सकता है. अगर आप किसी दूसरे बैंक में लोन ट्रांसफर करा रहे हैं तो प्रीपेमेंट चार्ज देना पड़ सकता है. एजुकेशन लोन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके भुगतान पर आयकर में छूट का लाभ मिलता है.
कैसे मिलती है छूट? एजुकेशन लोन के जरिए टैक्स बचाना चाहते हैं तो इनकम टैक्स कानून की धारा 80E के बारे में जान लीजिए. धारा 80E के तहत एजुकेशन लोन के पूरे ब्याज पर आपको टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलेगा. इस लाभ पर ब्याज भुगतान की कोई ऊपरी सीमा नहीं है. यानी जितना ब्याज उतनी छूट. हालांकि एजुकेशन लोन के मूलधन के भुगतान पर पर टैक्स छूट नहीं मिलती. एजुकेशन लोन लेने वाले को इन महत्वपूर्ण शर्तों का ख्याल रखना होगा.
कब मिलेगी छूट? एजुकेशन लोन के ब्याज पर छूट तभी मिलेगी जब ये लोन खुद के लिए, बच्चों के लिए या पति-पत्नी की हायर एजुकेशन के लिए लिया जाए. भारत या विदेश में कहीं भी पढ़ाई के लिए ये लोन लिया जा सकता है. एजुकेशन लोन शेड्यूल बैंक या नोटिफाइड वित्तीय संस्थान से ही लें. भाई-बहन या किसी दूसरे रिश्तेदार के लिए एजुकेशन लोन लेने पर ब्याज पर छूट नहीं मिलेगी. इसका फायदा ब्याज भुगतान के शुरू होने के आठ साल बाद तक उठाया जा सकता है. ध्यान रहे धारा 80E की छूट आपको धारा 80C के 1.5 लाख की छूट के अतिरिक्त मिलती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं कि एजुकेशन लोन पर निर्भरता जितनी कम रखी जाए उतना बेहतर है. शिक्षा लोन आखिरी विकल्प होना चाहिए क्योंकि दाखिले के ऐन वक्त यह लोन मिल पाएगा इसकी गारंटी नहीं है. इसलिए बच्चों की पढ़ाई के लिए पहले से बचत करना शुरू कर दें.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।