हजारों फर्जी कंपनियां और लाखों पैन कार्ड, इस तरह खजाने को लगाया 15000 करोड़ का चूना

हजारों फर्जी कंपनियां बनाकर कई साल से कर रहे थे घोटाला

हजारों फर्जी कंपनियां और लाखों पैन कार्ड, इस तरह खजाने को लगाया 15000 करोड़ का चूना

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वस्तु एवं सेवाकर (GST) से सरकार की कमाई लगातार बढ़ रही है, जो अच्छे आर्थिक हालत के संकेत हैं. वहीं, दूसरी तरफ GST चोरी है कि थमने का नाम नहीं ले रही है. तमाम सख्ती के बावजूद आए दिन GST चोरी के नए मामले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा में सामने आया है. नोएडा पुलिस ने जाली दस्तावेजों के सहारे फर्जी कंपनियां बनाकर सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने वाले एक गैंग के सरगना समेत 8 लोगों को पकड़ा है. जिसमें एक महिला भी शामिल है.

2660 फर्जी कंपनियों से 15,000 करोड़ की ठगी
आरोपियों के पास से फर्जी दस्तावेजों से तैयार 2,660 कंपनियों की लिस्ट मिली है. जिनके सहारे देशभर में फर्जीवाड़ा चलाया जा रहा था. यह गिरोह हजारों लोगों के डेटा और जाली दस्तावेज के आधार पर फर्जी कंपनी और जीएसटी नंबर लेता था, जिसके बेस पर जीएसटी रिफंड लिया जाता था. गिरोह ने पांच साल में सरकारी खजाने को करीब 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है.

8 लाख पैन कार्ड का ब्योरा बरामद
गिरोह का सरगना दीपक मुरजानी है. आरोपियों के पास से 8 लाख लोगों के पैन कार्ड के ब्योरे समेत कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं. इसके अलावा, 12 लाख से ज्यादा कैश, 32 मोबाइल, 4 लैपटॉप, 3 हार्ड डिस्क, 118 फर्जी आधार कार्ड और तीन कार मिली है. पुलिस को गिरोह में 50 लोग होने की जानकारी मिली है.

कैसे चल रहा था फर्जीवाड़ा?
गिरोह दो टीम में काम करता था. पहली टीम निजी वेबसाइट और अन्य आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए लोगों के पैन कार्ड का डेटा हासिल करती थी. उसके बाद गरीबों या नशा करने वाले लोगों को ढूंढ कर उनके आधार कार्ड पर फर्जी दस्तावेज के सहारे निकाला गया मोबाइल नंबर रजिस्टर कराया जाता था. डाउनलोड किए गए ऑनलाइन रेंट एग्रीमेंट और बिजली बिल को एडिट करके फर्जी फर्म के लिए एड्रेस तैयार किया जाता था. आधार कार्ड के नाम को पैन कार्ड के डेटा में सर्च किया जाता था. कुछ कॉमन नाम मिलने पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए फर्म रजिस्टर करवा ली जाती थीं. पैन नंबर असली रहता था, नाम और फोटो मोर्फ कर दी जाती थी.

ऐसे होता था फर्म का रजिस्ट्रेशन
फर्म को जीएसटी में रजिस्टर कराने के लिए आधार बेस्ड वेरिफिकेशन की व्यवस्था है. वेरिफिकेशन कोड आधार पर रजिस्टर कराए गए फर्जी नंबर पर जाता था. फर्जी नंबर पर वेरिफिकेशन कोड आने पर उसे जीएसटी पोर्टल पर डाल कर फर्म को वेरिफाई करा लिया जाता था और GST नंबर मिल जाता था.

फर्जी बिल तैयार करना दूसरी टीम के जिम्मे
पहली टीम फर्जी तरह से रजिस्टर कराई गई फर्म को दूसरी टीम को बेच देती थी. दूसरी टीम बिना माल की सप्लाई किए फर्जी बिल बनाती थी और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम करती थी. इस तरह से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ को चूना लगाया गया.

गिरोह में शामिल कई चार्टर्ड अकाउंटेंट
नोएडा की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के मुताबिक, सरगना दीपक मुरजानी की ओर से तैयार की गई फर्म और GST नंबर को गिरोह में शामिल 12 सीए हासिल कर लेते थे. इसके बाद वे देशभर में शामिल अपने क्लाइंट को कम दरों में GST इनपुट क्रेडिट रिफंड और ब्लैक मनी को व्हाइट मनी कराने के लुभावने ऑफर देते थे. गिरफ्तार 8 आरोपियों में एक CA भी शामिल है.

कैसे खुला मामला?
मई महीने में नोएडा पुलिस के पास एक आइडेंटिटी फ्रॉड की एफआईआर दर्ज हुई थी. जिसमें व्यक्ति के पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल पाया गया था. पुलिस ने मामले की गहन जांच की तो पता चला कि कुछ लोग गलत तरीके से पैन नंबर हासिल करके उसका इस्तेमाल फर्जी कंपनी बनाने में कर रहे हैं.

GST से सरकार की कमाई
एक जून को आए जीएसटी क्लेक्शन (GST Collection) के आंकड़े सरकारी खजाने में तेजी की तस्दीक करते हैं. मई महीने में GST से सरकार को 1.57 लाख करोड़ रुपए मिले हैं. यह कमाई साल भर पहले यानी मई 2022 के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है. इससे पता चलता है कि साल दर साल GST से सरकार को पहले की तुलना में ज्यादा पैसे मिल रहे हैं. अप्रैल 2023 में GST संग्रह का शानदार रिकॉर्ड बना. इस महीने सरकार को जीएसटी से 1.87 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई थी.

Published - June 4, 2023, 09:20 IST