सरकार ने भारत में स्टार्टअप्स और अनलिस्टेड शेयरों में विदेशी निवेश पर एंजल टैक्स की गणना के लिए मूल्यांकन नियमों को निर्धारित कर दिया है. आयकर विभाग (income tax department) ने स्टार्टअप्स द्वारा घरेलू और विदेशी निवेशकों दोनों को जारी इक्विटी और अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय तरजीही शेयरों (CCPS) के मूल्यांकन के लिए नियमों को अधिसूचित किया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिनियम के नियम 11यूए में बदलाव के तहत प्रावधान किया है. नए नियम 25 सितंबर से प्रभावी हो चुके हैं. इसके तहत अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय तरजीही शेयरों का मूल्यांकन भी फेयर मार्केट वैल्यू पर आधारित हो सकता है.
वित्त मंत्रालय ने सोमवार देर रात अंतिम नियमों को अधिसूचित किया है. इसका मकसद निवेशकों को स्पष्टता प्रदान करने के साथ अनलिस्टेड शेयरों के मूल्य का सटीक आकलन करने के लिए मूल्यांकन विधियों का एक सेट प्रदान करना है.
संशोधित नियमों के मसौदे में विदेशी निवेशकों को जारी किए जाने वाले शेयरों के मूल्याकंन के लिए प्रस्तावति पांच नए मूल्यांकन के तरीकों को भी रखा गया है. ये तरीके हैं…कम्प्रेबल कंपनी मल्टीपल मेथड, प्रोबेबिलिटी वेटेड एक्सपेक्टेड रिटर्न मेथड, ऑप्शन प्राइसिंग मेथड, माइलस्टोन एनालिसिस मेथड और रिप्लेसमेंट कॉस्ट मेथड.
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के भागीदार अमित अग्रवाल का कहना है कि भारतीय आयकर अधिनियम के नियम 11यूए में संशोधन करदाताओं को कई मूल्यांकन विधियों के माध्यम से लचीलेपन की पेशकश करके सकारात्मक बदलाव लाने वाला है. अग्रवाल ने कहा कि ये बदलाव करदाताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दृष्टिकोण सहित चयन के लिए मूल्यांकन विधियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है. इससे विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी और चीजों में स्पष्टता आएगी.
एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी का कहना है कि नए एंजल टैक्स नियमों ने सीसीपीएस मूल्यांकन तंत्र के एक महत्वपूर्ण पहलू का बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखा है, जो पहले नहीं था, क्योंकि वेंचर कैपिटल फंड्स द्वारा भारत में अधिकांश निवेश केवल सीसीपीएस मार्ग के माध्यम से किया जाता है.
सीबीडीटी ने इस साल मई में गैर-सूचीबद्ध और गैर-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इकाइयों में वित्तपोषण के मूल्यांकन पर नियमों का मसौदा जारी किया था. सीबीडीटी ने यह मसौदा इनकम टैक्स लगाने के मकसद से जारी किया था. अबतक, केवल घरेलू निवेशकों या देशवासियों के अनिलिस्टेड कंपनियों में किए गए निवेश पर उचित बाजार मूल्य के हिसाब से टैक्स लगाया जाता था. इसे एंजल टैक्स कहा जाता है. फाइनेंस एक्ट, 2023 में कहा गया है कि फेयर मार्केट वैल्यू के आधार पर अब ऐसे निवेश पर टैक्स लगाया जाएगा, भले ही निवेशक भारत का निवासी हो या नहीं. फाइनेंस एक्ट में संशोधन के बाद, दो अलग-अलग कानूनों के तहत फेयर मार्केट वैल्यू की गणना की विधि पर सवाल उठाए जा रहे थे.
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